SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 28
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुतसागर सितम्बर-२०१९ 28 पुस्तक समीक्षा डॉ. हेमन्त कुमार पुस्तक नाम - कर्ता प्रकाशक आगमनी ओळख आचार्य श्री कीर्तियशसूरिजी म. सा. सन्मार्ग प्रकाशन, अहमदाबाद वि.सं. २०७३ १००/ प्रकाशन वर्ष - मूल्य - भाषा गुजराती आगम जैन धर्म का संविधान है एवं सबकुछ है। आगम को आप्तवचन कहा गया है। आप्तपुरुष वे हैं जिन्होंने राग, द्वेष और अज्ञानरूपी दोषों पर विजय प्राप्त कर लिया है। इन तीनों दोषों को जीतने वाले अरिहंत परमात्मा आप्तपुरुषों की श्रेणी में सर्वोच्च स्थान पर विराजित हैं। उन अरिहंत परमात्मा के वचन होने से इसे आगम कहा जाता है। आगम साहित्य भारतीय साहित्य का प्राण है, तो आध्यात्मिक जीवन की जन्मभूमि एवं आर्य संस्कृति का मूल्यवान कोश भी है। भगवान महावीर के पश्चात् ८४ आगमों का अध्ययनअध्यापन श्रुत परम्परा से होता रहा। वर्तमान में ४५ आगम उपलब्ध हैं। काल प्रभाव से शेष आगम लुप्त न हो जाए इस हेतु से विभिन्न स्थल एवं विभिन्न काल में ४ आगम वाचनाएँ हुई, जिसमें आगमों को संकलित किया गया। अन्तिम वाचना देवर्द्धिगणि क्षमाश्रमण की निश्रा में गुजरात के वल्लभीपुर में हई, जिसमें आगमों के पाठों की विविध धाराओं का संकलन करके उन्हें स्थिर किया गया एवं कहा जाता है कि लिपिबद्ध भी किया गया। जिनशासन के आधार स्तम्भों में जिनवाणी-श्रुतज्ञान का अद्वितीय स्थान है। आगमों को जिनवाणी के नाम से भी जाना जाता है। श्रुतज्ञान का आधार जिनागम ही है। जैन आगमों का परिचय सामान्य जनों को भी सरलता से प्राप्त हो इस हेतु से गुजराती, हिन्दी आदि देशी भाषाओं के साथ ही विदेशी भाषाओं में भी संक्षिप्त एवं विस्तृत आगम परिचय संबंधित अनेक ग्रंथों का प्रकाशन महात्माओं तथा विद्वानों द्वारा समय-समय पर किया जाता रहा है। यहाँ उनका संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत कर रहा हूँ। जैन प्रवचन किरणावली- श्री पद्मसूरिजी महाराज साहब द्वारा लिखित यह ग्रंथ ५ विभागों के २८ प्रकाशों में विभाजित है। प्रथम विभाग के अन्तर्गत १३ प्रकाशों में १२ अंगों के विषयों का विस्तारपूर्वक विवरण दिया गया है, दूसरे विभाग के अन्तर्गत १४ से २० प्रकाशों में १२ उपांगों के विषयों, तीसरे विभाग के प्रकाश २१ में १० प्रकीर्णकों के विषयों का, चौथे विभाग के प्रकाश २२ से २५ में ४ मूलसूत्रों, प्रकाश २६ से २७ में २ चुलिका तथा For Private and Personal Use Only
SR No.525350
Book TitleShrutsagar 2019 09 Volume 06 Issue 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2019
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy