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September-2019 गुजराती माटे देवनागरी लिपिके हिन्दी माटे गुजराती लिपि?
हिन्दवी (गतांकथी आगळ..) ___ लखवामां देवनागरी लिपि आपणी करतां वधारे काळजी मागे अने वधारे वखत ले एवी छ । गुजराती लिपि इटालिकना जेवो ज ‘करन्ट हेन्ड (current hand)' छ । बंगाळी आ गुणमां ऊतरे; देवनागरी घणी ऊतरे।
सुवाच्यतामां देवनागरी लिपिनी बीजी कोईपण पुत्री गुजरातीने समोवड छे नहीं । बंगाळी लिपि पण ऊतरती छे । उर्दु अने मोडी तो छेकज उतरती छे। ____ लखाणमां मरोड अथवा वैयक्तिकताना संभवनो गुण एटलो महत्वनो छे के तेने जदो गणवो उचित छे। गुजरातीमां तेम इटालिकमां दरेक सारा लहियानो मरोड जुदो पडी आवे एटली बधी सजीवनता छ । बंगाळीमां पण आ वैयक्तिक मरोड जोई शकाय छे । देवनागरी तो जडतानी मूर्ति छ।
पण गुजराती लिपिना लाभनी सौथी वधारे महत्त्वनी दलील हजी हवे आपुं छु। लिपिओनी समुत्क्रांति (इवोल्यूशन evolution) केम थई ते पण ध्यानमां लेवानुं छे ए ज मुख्य ध्यानमा राखवा- छे । केम जे समुत्क्रांतिना कुदरती क्रमथी ऊलटां पगलां भरवा इच्छा करीए ते वृथा। ज°४; च य; क 3; फई; ब; झॐ; अ ; (जूनी आकृति) अ नवी :--
एटलां बीबां अन्योन्य सरखावो. वधारे दाखलानी जरूर नथी। लखतां लखतां, चालती लेखणे, लेखणने उपाडवी न पडे अने वेगमां ज आकृतिओ लखाई जाय, ते लिपिनी सरलता वा प्रवाहिता। उपलां जोडकांओमां डाबी (देवनागरी) आकृतिने जमणी (गुजराती) साथे सरखावो। देवनागरी लखतां घणा लहिया माथां बांधता पछी, अने एकसाथे, ए उपर नोंधाई गयुं छे । छुटां छटां माथां एम एकसाथे बांधवाने बदले आखी लीटी दोरी लेवानी रीत (गुजराती अने मोडी कहीए छीए ते लिपिओना आदिकालमां) कोईकने स्फुरी अने सुगमता कोने न गमे एटले फेलाई।
(क्रमशः)
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