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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुतसागर सितम्बर-२०१९ श्रुतसेवा के क्षेत्र में आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर का योगदान राहुल आर. त्रिवेदी (गतांक से आगे) हस्तप्रत संरक्षण/Restoration हेतु विश्वस्तरीय प्रशिक्षण अति प्राचीनकाल से ही अंकन, लेखन, रेखाचित्रण आदि के लिए मानव द्वारा ताड़पत्र, अगरपत्र (साचीपत्र) व हस्तनिर्मित (Hand Made) कागजों का उपयोग किया जाता रहा है। भारत भर के अनेक ज्ञानभंडारों में प्रत्येक काल एवं क्षेत्र में लिखित ऐसी सामग्रियाँ, जो मानव के इतिहास तथा विकास को समझने में सहायक हैं, विपुलमात्रा में अमूल्य विरासत के रूप में विद्यमान हैं। इन्हें पाण्डुलिपि के नाम से भी जाना जाता है, पर्याप्त संरक्षण तथा देख-रेख के अभाव में ये पाण्डुलिपियाँ प्रायः नष्ट होती जा रही हैं। इस दुर्लभ विरासत के संरक्षण तथा इसकी सुरक्षा के ऊपर विशेष ध्यान देना अति आवश्यक है। भारत में इन पाण्डुलिपियों के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय पाण्डुलिपि मिशन' की स्थापना की गई है। उस संस्था के द्वारा पाण्डुलिपियों का रख-रखाव एवं उसका संरक्षण किया जाता है ऐसी संस्थाओं को आर्थिक सहायता भी करते हैं और इस हेतु विशेष रूप से प्रशिक्षण कार्यशालाओं का आयोजन करके प्रशिक्षण भी दिया जाता है। राष्ट्रिय पाण्डुलिपि मिशन के निदेशक श्री प्रतापानंद झाजी अपने सहकर्मियों के साथ, आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमन्दिर, श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र, कोबा में पधारे थे। वे हमारे भंडार में संग्रहित दो लाख से अधिक पाण्डुलिपियों की विरासत एवं यहाँ संचालित सूचिकरण आदि कार्यों को देखकर बहुत प्रभावित हुए और यहाँ के कार्यकर्ताओं को राष्ट्रिय पाण्डुलिपि मिशन द्वारा आयोजित हस्तप्रत संरक्षण प्रशिक्षण कार्यशाला(Manuscript Conservation Workshop) में सम्मिलित होकर प्रशिक्षण प्राप्त करने का प्रस्ताव दिया। उनके द्वारा सामने से दिए गए प्रस्ताव से संस्था गौरवान्वित हुई और उसे स्वीकार किया। संस्था ने इस प्रस्ताव को ध्यान में रखकर ज्ञानमन्दिर के दो कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण प्राप्त करने हेतु भारत के दो अलग-अलग स्थानों में आयोजित कार्यशालाओं में भेजने का निर्णय लिया और एक व्यक्ति को हिमसाको नैनीताल, उत्तरांचल व दूसरे को इन्टैक लखनऊ, उत्तरप्रदेश भेजने की व्यवस्था की गई। हस्तप्रत संरक्षण प्रशिक्षण कार्यशाला में अलगअलग प्रदेशों से प्रशिक्षणार्थीओं को बुलाया गया था। प्रशिक्षण देने हेतु भी अलग-अलग स्थानों से विशेषज्ञों-प्रशिक्षकों को बुलाया गया था। यहाँ से भेजे गए कार्यकर्ताओं के साथ भंडार में से जीर्ण-शीर्ण पत्र, चिपके हुए पत्र, जले हुए पत्र, स्याही फैले हुए पत्र, खराब स्याहीवाले पत्र, फफूंदग्रस्त पत्र तथा टूट जानेवाले पत्रों को प्रायोगिक तौर पर भेजा गया था। इन कार्यशालाओं में हमारे भंडार से भेजे गए For Private and Personal Use Only
SR No.525350
Book TitleShrutsagar 2019 09 Volume 06 Issue 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2019
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size4 MB
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