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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 15 June-2019 SHRUTSAGAR जे साधु हुइ प्राणी हणावइ, वचन बोलइ कूड रे, तप तप्पउ भणियउ अनइ गुणियउ, सर्व तिणि रउ धूड२३ ॥२९(३०)। साचइ... इम विधई संयम विधई पूजा, मुगतिनउ छइ खंध रे, अविधिनउ कीधउ दान तप जप, जाणिज्यो सहि धंध५ रे ॥३०(३१)।। साचइ... घरनी अवस्था......जिनवर, नमइ तेह अलीक रे२६, न्याननइ निरवान दीक्षा, तीन ए वंदनीक रे ॥३१(३२)।।* साचइ... वीतराग आगलि पुत्र ईछइ२७, वधारइ२८ नालेर२९ रे, जउ लाभ हुइ तउ आवि खरचइ, सूखडी दस सेर रे ॥३२(३४)।। साचइ... सीयलनइ सीतलनाथ पूजइ, नमइ ईछइ जात रे, जिनमत तणा ते जाण कहियइ, पिण न जाणइ वात रे ॥३३(३५)। साचइ... जे कहइ सावद्य वदइ जिनवर, ते न जाणइ भेद रे, सावद्य जिनवर कदे न वदइ, वात ए द्रु"वेद रे । ॥३४(३६)।। साचइ... आगम तणी रह रीति चलतां, कहइ कोइ अजाण रे, तेहनइ दीजइ एह उत्तर, पूछिज्यो वधमान रे ॥३५(३७)।। साचइ... कलहंस जिम करिज्यो परीक्षा, स्यू(स्यु) कहां वार वार रे, वीतराग वदियउरेतेह साचउ, इम कहइ श्रीसार रे ॥३६(३८)। साचइ मनइ... ॥ इति श्रीप्रवचनपरीक्षाषट्त्रिंशिका समाप्ता। लिखता कृता चेयं श्रीजेसलमेरौ । वाच्यमाना चिरं नन्दतु ॥ श्री: स्यात् जिनमतरतानाम् ॥ दंसण वय सामाइय पोसह पडिमा अबंभ सच्चित्ते । आरंभ पेस उद्दिट्ठ वज्जए समणभूए य । (प्रवचनसारोद्धार गाथा.९८०) २३. धूळ ?, २४. स्कंध, २५. मिथ्या प्रवृत्ति, २६. खोटो, २७. ईच्छे २८. वधेरे. २९. नाळीयेर, ३०. क्यारेय पण, ३१. ध्रुवना तारा जेवी, ३२. रथ-रीत (?), ३३. का. *चउ...नीच...गाथा... इ... एक... र ....रे। ......... वजो......समी.......भलउ विचार रे साचइ...॥३२(३३)।। आ उद्धरण गाथा प्रतमां प्रक्षेपायेली छे. For Private and Personal Use Only
SR No.525347
Book TitleShrutsagar 2019 06 Volume 06 Issue 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2019
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size2 MB
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