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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 16 श्रुतसागर जून-२०१९ श्री खेमराजमुनि कृत चारित्रमनोरथमाला मिनाक्षी एच. शेडगे प्रस्तावना : जेनुं एक दिवसनुं पालन पण मोक्ष आपवा समर्थ छे, जे- पालन श्री तीर्थंकर भगवंतोए स्वयं करेल छे, केवलज्ञान-केवदर्शन थया पछी जिनेश्वरोनी देशनामां सर्व प्रथम जेनी प्ररूपण कराय छे; जेनुं पालन खांडानी धार समान मनाय छे; एवा चारित्रनुं पालन करी आज सुधी अनंत-अनंत आत्माओ मुक्तिवधुने वर्या अने पुरुषार्थमां सफळ थया । ए पुरुषार्थनुं सत्त्व हजी जेओमां प्रगट्यु नथी, तेओए अंतरना उमंग अने उछरंगथी जे महान मनोरथो कर्या एने कंडारती महान कृति एटले चारित्रमनोरथमाला। वारंवार वांचन-मनन-चिंतनथी सिंह जेवू सत्त्व प्रगटाववानी क्षमता धरावती आ एक विरल कृतिनुं संपादन करवानो अहीं प्रयास कर्यों छे । चारित्रग्रहणमां अशक्त जीवो आवा मनोरथो द्वारा पोताना चारित्रमोहनीयने खपावी आगामी समयमां जरूर तेने ग्रहण करवानी क्षमतावाळा बनी शके छे। कृति परिचय : प्रस्तुत कृति खेमराज मुनि (क्षेमराज मुनि) द्वारा मारुगुर्जर भाषामां पद्यबद्ध ५३ गाथाओमां रचायेली छे। आ कृतिमां आत्माने हितकारक एवा मनोरथोर्नु वर्णन करवामां आव्यु छ। चारित्र एटले आत्मरमणता, आत्मगुणोमां स्थिरता अने आत्ममंदिरमां भेगा थयेला कर्म-कचराने खाली करवानी प्रक्रिया । चारित्र एटले वेषनुं परिवर्तन, नामर्नु परिवर्तन, आत्मानुं परिवर्तन, पापोनो प्रतिज्ञापूर्वक त्याग, घर, माल, मिल्कत माता-पिता, स्वजन कुटुंबरूप बाह्य संसारनो त्याग, राग-द्वेष, कामक्रोधादि आंतरिक संसारनो त्याग । मनोरथ एटले मननी भावना । चारित्र माटे करायेल भावना एटले चारित्रमनोरथमाला। प्रस्तुत कृतिमां कर्ता द्वारा प्रथम गाथामां आदिनाथ भगवाननी स्तुति कराई छे अने त्यार बाद विविध मनोरथोनुं वर्णन करायेल छ। आ कृतिमां आवता मनोरथ (भावना) ना विषय निम्न प्रकार छे १. विधियुक्त जिनधर्माराधना २. जिनवाणीश्रवण For Private and Personal Use Only
SR No.525347
Book TitleShrutsagar 2019 06 Volume 06 Issue 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2019
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size2 MB
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