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February-2019 गुजराती तरफनो संपूर्ण ढाळ अढारमाना नहि पण सत्तरमाना पूर्वार्ध पछी आवे छे। सोळमा सैकानुं गुजराती संक्रान्तिकाळ- जूनुं गुजराती छे। पंदरमा सैकाना अनुषंगी शब्दो सोळमानी पहेली वीशी पछी जवल्लेज देखा दे छे अने रहई तो गूम ज थइ जाय छे। __ भाषाशास्त्रनुं धोरण उच्चार ऊपर होवू जोइए; नहि के लेखनप्रकार ऊपर ए अर्वाचीन अने यथार्थ स्वीकृत सिद्धांत छ। आ दृष्टिथी जोइए तो श्री. नरसिंहराव Lectures ll P. 69 Thus we are safe in fixing the period of the final establishment of ए-ओ between 1700 and 1750 v. S. ए लेखन बाबतमां सिद्धांत खरो होय पण उच्चार बाबतमां तो नथी ज। जो एम ज होय तो अंग्रेजीमां स्पेन्सर, शेक्सपीअरथी ते मेसफील्ड शॉ अने वेल्स सुधीने अर्वाचीन अंग्रेजीनो युग कही शकीए नहि; कारण के शेक्सपीरनी प्रथम मुद्रित आवृत्तिनी जोडणी अने अत्यारनी जोडणीमां घणाय फेरफार मालम पडे छ । मध्य-अंग्रेजीमां भाषानां रूपोमां फेरफार छे तेथी ज तेनो युग जुदो पडे छे। गुजरातीमां सत्तरमा सैका (वि. सं.) पूर्वार्धना छेडाथी वलण अर्वाचीनता तरफ ज छे; एटले त्यारथी ज अर्वाचीन गुजरातीनो युग एम विभाग होवो जोइए। श्री. नरसिंहरावे Lectures ll P. 129.
Middle Gujarati V. S. 1650-1750 अने Modern Gujarati V. S. 1750 and after कहुं छे ते अयथार्थ छे कारणके फक्त जोडणीना धोरण पर ज ते युग जुदो पाडवामां आव्यो छे।
एक वस्तु कहेवी रही जाय छे करइन गुजरातमां करि थयुं अने काठियावाडमां करे रूप थो हवे करिमांथी करे न थई शके एटले काठियावाडी करे ए गुजराती करिने हांकी काढ्यु ए मतमंडन खोटु छे । करइनुं करि अने करेना दाखला एक ज युगमां करइनी साथे ज मले छे; अने फक्त ते लेखनशैलीना विकल्पो छे अने भाषाशास्त्रीय मतमंडन माटे प्रधानस्थान भोगवता नथी। कदाच रा. शास्त्रीए आ करइना करि अने करेना मतमंडन माटे Lectures ll. P 32 ध्यानमा राखी 'नागीचाणाना पावळीआ' वाळा लेखमां काठियावाडी असरनुं सूचन कर्यु होय एम लागे छे । ए सूचन खोटुं छे। श्री. बधेका रा. शास्त्री जेम शास्त्रीय नथी एटले तेमने माटे कांइ कहेवार्नु रहेतुं नथी।
बुद्धिप्रकाश, पुस्तक ८२, अंक १मांथी साभार
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