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श्रुतसागर
फरवरी-२०१९ सोळमा शतकनीगुजराती भाषा
मधुसूदन चिमनलाल मोदी (गतांकथी आगळ...)
अउनो ओ बन्यानुं क्रियापदनुं रूप में आ लेखना प्रथम भागमां टांक्यु छे अने ए पण जोवानुं छे के अउना उनो अने ओनो प्रास पण छे । रूपबंध छंदमां अउनो विवृत
ओ उच्चार करवो पडे छे तेनो दाखलो हुं पंदरमां सैकाना शालिसूरिना विराटपर्वमांथी टांकू छुः (पत्र १ ब. पं. १३ हाथप्रत)
द्रुतविलंबित। भमरडउ मरिवा अणबीहतउ पसरि पइसइ केतकिई हतउ। कठिन कंटक कोडि कुटीरडइ पडिउ वेधि पछइ पुणि आरडइ ।। गयउ गेहि सु कीचक नीच थिउ मनि सु मार्गण मन्मथ नेमि थिउ। अरति अंगि अनंग-तणी घणी हृदय सा षुटकइ मृगलोयणी॥ टलवलइ जिम निर्जलि मांछली वलवलइ अति अंगि वली वली। झषइ लांषइ लावर आकुलउ विरहि विह्वल वांतर वाउलउ। सघण सूकडि सइरि सु सिंचीइ पवणपूरिहिं बीजण वीजई कमलने दलि साथर पारिउ मरइ कीचक सन्मथ-आफरिउ॥
ऊपरनां बधां स्वरयुग्म वाचक तपासशे तो मालम पडशे के स्वरयुग्म अइ, अउ, एक दीर्घ, बे ह्रस्व, एक ह्रस्व एम तेना विशिष्ट उच्चारने लीधे वपरातुं हतुं । सामान्य बोलाववामां विवृत ए अने ओ तरीके तेनो उच्चार थतो होइ, धीमे धीमे ते उच्चार लेखनप्रकार लखाणमां ऊतारवा प्रवृत्ति थवा लागी। ऊपरनामां कमलनेमां तो लहिया ए सं. १६०४मां अइनो ऊच्चार प्रमाणे ए लखी ज दीधो छ । आ स्वरयुग्मो लखाणने नवां जूनां साबीत करवा स्वतंत्र प्रमाण तरीके नहि पण अनुवादी प्रमाण तरीके लेखवां जोईए अने स्वतंत्र प्रमाण तरीके ते काळना भाषा-प्रयोग ज गणावा जोईए।
साथे साथे श्री. नरसिंहरावना Lectures II P. 22.नुं विधान; as ओ for अउ marks the beginning of modern Gujarati-the earlist time of
ओ being V. S. 1750 or thereabout मारी सं.१५८२नी मृगांकलेखारासनी हाथपोथीमां अउ ओ घणीवार आवे छे । सं.१५८३नी भगवद्गीतानो गुजराती टबो आ वातने टेको आपे छे। अइनो ए थवानो पण आज काळ छ; अने अर्वाचीन
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