________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
SHRUTSAGAR
27
February-2019
॥१९॥
॥२०॥
ससनेहा...॥२१॥
दूहा थिर चित हि सीद्धांतमि, वलभ जिनसूं रंग। श्रावण मासि साधुनि, माई दिन दिन हि उछरंग
ढाल पंच रूपी भाद्रवि, वर भर्या सर जलधार। द्रुमलता ललितांकुरांकित, भूमिरंग अपार सार पजूसणपर्व आवि, पर्वमांहि परधान । आगि नंद बिसारी नींको, मि२ सांभलूं कल्प-व्याख्यान
दूहा पंच महाव्रत प्रेमसूं, धरी मन उछाय। भादवि जिनवचन सुंदर, संभलावू मोरी माय
ढाल मास आसो आवियो, घरि घरि रंग अपार । दीपमालिकापर्व आवि, आवि घरि वहुआरि१३ वहुआरि आवि माट४ भावि, हरख पामि माय। वचन नंदन मात केरुं, मानोजी इछाना राय
॥२३॥
॥२३(२४)।
ससनेहा...॥२४(२५)॥
दूहा
सुंदर संयम सुंदरी, वल्लभ लील विलास । चित्त धरुं सा वल्लभा, तेणि सुंदर आसो मास
॥२५(२६)।
ढाल
॥२६(२७)॥
कारतीक(कि) मासि कृपासागर, आवि अन्नप्रवाह। उछाह ५ पांमि मेदनी, मोहनी मनि लगाय गाय गीत रंग संदर, सरस भोजन सार। सजन पोषो मा संतोषो, हुं विनवं वारंवार
ससनेहा... ॥२७(२८)।
१२. हुं, १३. वहु, १४.माटलं, १५.उत्साह,
For Private and Personal Use Only