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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुतसागर 26 ॥४१॥ ॥४२॥ ॥४३॥ दिसम्बर-२०१८ विसोम त्रिण्णि पदि कहीइ, आरणथी सुख लहीइ। डोढसो जिनवर नाम, जपतां शिवसुख ठाम ॥राग धन्यासी। अढाइद्वीप मझारि, ए ढाल ॥ भाविइं भविअण जेह, ए व्रत मनसुद्धिइं धरइ ए। निश्चइं सुख लहइ तेह, छेहलइ सिद्धिवधू वरइ ए अढाइद्वीपि मझारि, दश क्षेत्रे जिन ए थुगुं ए। जिम लहो परिमाणंद, मौनधर गुणणुं गणो ए पोसह करो अहोरत्त, वरस एकादशि लगि सही ए। पछइ ऊझवणुं भावि, करीइ विधि एणी परि कहीइ ए ॥४४॥ लही मानव भव सार, उत्तमकुल पामी करी ए। सुद्ध धरम समकित्त, आराधो उल्हट धरीइ ए ए तपथी बहुमान रिद्धि वृद्धि सुख संपदा ए। पामइ प्रगडुं न्यान, उदय हुइ अधिको सदा ए ॥ कलश॥ मौन एकादशि तप निज मन रसि, वशि करी करो जिन ध्यान । त्रिकरण सुद्धिइं उत्तम बुद्धिई, जिम दिइ शिववधू मान । कल्याणकुशल पंडित गुणमंडित, तपगछि शोह चढावइ । दयाकुशल कहइ पुण्य पसाइं, मनवंछित सुख पावइ ॥४७॥ ॥४५॥ ॥४६॥ इति श्रीमौनएकादशी दिने डोढसो जिन कल्याणक स्तोत्रं संपूर्णमिति श्रेयः॥ संवत् १६८० वर्षे चैत्र वदि १३ सोमे। श्रीद्वीप मध्ये लिखितं॥ णंबिनग्रीक्षझाहुघठकिख्य। सपिठ सनि शुक छेत ॥ परोपकाराय॥ For Private and Personal Use Only
SR No.525341
Book TitleShrutsagar 2018 12 Volume 05 Issue 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2018
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size2 MB
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