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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 25 December-2018 ए उत्तम० ॥२८॥ ए उत्तम0 ॥२९॥ ए उत्तम० ॥३०॥ ए उत्तम० ॥३१॥ ए उत्तम0 ॥३२॥ ए उत्तम० ॥३३॥ SHRUTSAGAR वरतमान चउवीसीइं, खेमंत जिनंद। संतोषित प्रभु त्रिहुं पदिइं, काम जिन सुखकंद अनागत चउवीसीइं, मुनिनाथ मयाल । चंद्रदाह ते त्रिहुं पदिइं, दिलादित्य दयाल पुष्करवरद्वीपह तणुं, ऐरवत जे खेत्त। पूरवदिशि जे जिन हुआ, पभणुं पुण्य हेत अतीत चउवीसी सांभलो, अष्टाहिक आनंद । वणिक् वार त्रिण्णि वंदीइ, श्रीऊदय जिनचंद वरतमान जिन पूजीइ, जिनजी तमोकंद। सायकाख्य त्रिण्णि पद धणी, खेमंत जिनचंद अनागत आराधीइ, निरवाणी जिनराय। त्रिहुं पदे रविराज जे, पूजो प्रथम जिन पाय धातकीखंड पश्चिम दिशिइं, क्षेत्र ऐरवत नाम । तिहां तणा जे जपइ, सीझइ तस काम अतीत चउवीसी जिन भला, श्रीपुरुरवास । श्रीअवबोध जिन त्रिहुं पदे, विक्रमेंद्र उल्हास वरतमान जिन हित करु, सुशांति थुणेसि । त्रिहुं पदिइं हर प्रणमीइ, नंदिकेशि वंदेसि अनागत अरिहंत जे, श्रीअ महामृगेंद्र । त्रिहुं पदिइं अशोचित थुणो, वंदो श्री द्रमेंद्र ॥ अतिशय सहजना च्यार, ए ढाल ॥ पुष्करद्वीपि मज्झारि, पश्चिम ऐरवत सार। अतीत चउवीसीअ कहीइ, अश्ववृंदथी सुख लहीइ कुटलिक जिन त्रिण्णि वार, वर्द्धमान जिन सुखकार । चउवीसी वरतमान, श्रीनंदिकेश प्रधान त्रिण्णि पदिई धरमचंद्र, विवेक नमतां आनंद। अनागत जिनभाण, मानो कुलापक आण एउत्तम०॥३४॥ ए उत्तम0 ॥३५॥ ए उत्तम० ॥३६॥ ए उत्तम० ॥३७॥ ॥३८॥ ॥३९॥ ॥४०॥ For Private and Personal Use Only
SR No.525341
Book TitleShrutsagar 2018 12 Volume 05 Issue 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2018
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size2 MB
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