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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 21 November-2018 दीवाली... ॥६॥ दीवाली... ॥७॥ दीवाली... ॥८॥ दीवाली... ॥९॥ दीवाली... ॥१०॥ दीवाली... ॥११॥ SHRUTSAGAR नव मलीने नवलखी, देस अठाराना राय। वीरस्वामीये आयने, दीधा पोसा ठाय देव-देवी तिहां आवीया, लागी झगमग जोत । वली व(वि)सेष हुओ घणो, रतना तणो उद्योत देवस्वामण प्रतबोधवा, गया छे गौतमस्वाम। वीरमुक्त गया जांणनें, आया ठामो ठाम मोहन आइ तिहां टालवा, धाया छे सुकल ध्यांन । अनंतपणे ए साधव्या(वा), पांम्या केवलग्यांन मोख नगरना डायचा(?), भगवंत श्रीमहावीर। जीहां रे मुख आगल हुआ, गोतमस्वाम वजीर मोटा ज(जि)ण सासण धणी, पोहता सीवपुर ठांम। गोतम लबध तणा धणी, राख्यो जगमें नाम वारवार मनखा जनम, पांमस्ये नही रे गमार। भोग छोडो वीषय सारीखो, सफल करो अवतार डेरा डांडा राखडी, मल्या मीत्रने माय । जीहांरा झपटा मत करो, स(शु)द्ध गणो नोकार ग्यांन रुप दीवलो करो, कायाइ वाट वणाय । समकित जोत उजालने, मथ्या आघेरी गमाय काया हाट उजालने, माहे वस्त अमोलीक च्यार। भव जीव ग्राही कवण जता, जीहांरा नफानो उपगार भाव पुजा करो भगवानरी, सुण तुं चीत लगाय। दया रुप जल आंणनें, ए तोअ(य) सनान कराय सील सुगंध चंदण करेह, एतु लेप लगाय। दानशीलतपभावना, आखा तु एह चढाय धीरज करेनें धुपणो, तप कर अगर उखेव। ज्ञान दर्शन चारित्र तणो, सेवा करो नीतमेव दीवाली.. ॥१२॥ दीवाली... ॥१३॥ दीवाली... ॥१४॥ दीवाली... ॥१५॥ दीवाली... ॥१६॥ दीवाली... ॥१७॥ दीवाली... ॥१८॥ For Private and Personal Use Only
SR No.525340
Book TitleShrutsagar 2018 11 Volume 05 Issue 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2018
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size2 MB
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