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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 22 श्रुतसागर नवम्बर-२०१८ दयारा करने दहीव्वडा, खीमारा खाजा वणाय। नवतत्व पुरण नेवज करो, इम पुजो ज(जि)णराय दीवाली... ॥१९॥ ............., जीवनें संतावें कोय । दुख किणनें देणो नही, परवचनां सांमो जोय दीवाली... ॥२०॥ उलटी गत संसारनी, धान लच्छमीनें काज। डचकरो करती थकी ठेठे कुटे साज दीवाली... ॥२१॥ भासें श्रीजिनराजनी, मोख उघाडे मझार । दीप अढाइ में प्रगट्या, जयवंता जगदीस ॥ भजन करो भगवानरा, ज्युं सुधरे थाहरा काज। समयसुंदर कहें वीरजी, आवागमण नीवार दीवाली... ॥२२॥ इति दीवाली सीझाय संपूर्ण ॥ सं.१८५१ मती काती वदी १० लि. मतिसागरः ढानला मध्ये ॥ * * * - श्रुतसागर के इस अंक के माध्यम से प. प. गरुभगवन्तों तथा अप्रकाशित कृतियों के ऊपर संशोधन, सम्पादन करनेवाले सभी विद्वानों से निवेदन है कि आप जिस अप्रकाशित कृति का संशोधन, सम्पादन कर रहे हैं अथवा किसी महत्त्वपूर्ण कृति का नवसर्जन कर रहे हैं, तो कृपया उसकी सूचना हमें भिजवाएँ, जिसे हम अपने अंक के माध्यम से अन्य विद्वानों तक पहुँचाने का प्रयत्न करेंगे, जिससे समाज को यह ज्ञात हो सके कि किस कृति का सम्पादनकार्य कौन से विद्वान कर रहे हैं? इस तरह अन्य विद्वानों के श्रम व समय की बचत होगी और उसका उपयोग वे अन्य महत्त्वपूर्ण कृतियों के सम्पादन में कर सकेंगे. आशा है जिनशासन के इस महत्त्वपूर्ण कार्य में आपका सहयोग प्राप्त होगा. निवेदक सम्पादक (श्रुतसागर) १. एक चरण अनुपलब्ध है। For Private and Personal Use Only
SR No.525340
Book TitleShrutsagar 2018 11 Volume 05 Issue 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2018
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size2 MB
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