________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
20
श्रुतसागर
नवम्बर-२०१८
समयसुंदरनी गीतरचनाओना सातेक विभाग पाडी शकाय :- (१) प्रासंगिक गीतरचनाओ (२) तीर्थंकरोनी बाळलीला वर्णवतां गीतो (३) गुरुगीत ( ४ ) स्तवन, सज्झाय आदि (५) उपदेशगीतो (६) रूपकगीतो अने (७) हरियालीओ।
कविना काळधर्मना वर्ष अंगे क्यांय आधारभूत माहिती मळती नथी । राजसोमना एक अंजलिगीतमां समयसुंदरनुं अवसान संवत १७०२ना चैत्र मासनी सुद १३ ना रोज अमदावादमां थयुं होवानो उल्लेख छे। संवत १६५९मां रचायेल 'शांब - 1 -प्रद्युम्न चोपाई' थी आरंभीने 'द्रौपदी चोपाई' जे सं. १७०० मां रचाई होवानुं नोंधायुं छे ते गाळाने कविनो कवनकाळ गणावी शकाय । आम शब्द अने भावनी फूलगूंथणीमां मध्यकालीन जैन गीतकारोमां श्री समयसुंदर अद्वितीय छे। प्रत परिचयः
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
प्रस्तुत कृतिथी संबंधित प्रत आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर, कोबामां उपलब्ध छे। हस्तप्रत संख्या ३८४४९ने आधार मानीने आ कृतिनुं संपादन करवामां आव्युं छे। आ प्रतनुं प्रतिलेखन वर्ष विक्रम सं. १८५१ कार्तिक मास, कृष्ण पक्ष, १० तिथि, स्थळ ढानलामां, प्रतिलेखक मतिसागरे लखी छे । प्रतमां कुल २ पत्त्रो छे। प्रत्येक पत्रमां १२ पंक्तिओ अने प्रत्येक पंक्तिमा २८ थी ३१ अक्षरो छे। प्रतनी लेखनशैली सुंदर, स्पष्ट अने सुवाच्य छे।
श्री समयसुंदर गणि कृत दीपावलीपर्व सज्झाय
भजन करो भगवानरा, गणधर गोतमस्वाम । तरण तारण पुरषा तणा, लीजें नीतपत नाम दीवालीरो दन वडो, राखो धरमस्युं सीर । गोतम केवल पांमीया, मुगत गया महावीर जो दीन दीवालीरो वडो, तो मत कर जाडा पाप । नंद्या वगता परहरो, कीजो ज (जि) णवर जाप सामाईक पोसा करो, पडिकमणु दोय काल । इम आतमनें अवधारो, छोड द्यो झुटो झंकार काति वदि अमावस्यें, संखे करम कर सोय । भव जीवाने तारनें, श्रीवीर पोहता मोख
For Private and Personal Use Only
दीवाली दिन मोटको ॥१॥
दीवाली...॥२॥
दीवाली...
दीवाली...
॥३॥
11811
दीवाली.......॥५॥