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श्रुतसागर
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नवम्बर-२०१८ श्री समयसुंदर गणि कृत दीपावलीपर्व सज्झाय
मीनाक्षी आर. शिंदे प्रस्तावनाः
जैन शासनमां दर्शावेलां प्रत्येक पर्व आत्मविकासनी साधनामां विविध प्रकारे उपकारक बनतां होय छे। चरम तीर्थपति श्रमण भगवान श्रीमहावीरस्वामीना निर्वाण कल्याणक साथे संकळायेलं 'दीपोत्सवपर्व' अनेक आत्माना जीवनने अनेरा आध्यात्मिक प्रकाशथी झळहळां करतुं होय छे । आ दीपोत्सवपर्वने ध्यानमा राखीने अनेक महापुरुषोए संस्कृत, प्राकृत अने गुजराती भाषामां गद्य के पद्यस्वरूपे अनेक ग्रंथोनी रचना करी छ।
__ भारतीय संस्कृति अध्यात्म प्रधान होवाना कारणे अहीं प्रत्येक पर्वनी पोत पोतानी आगवी विशेषता छ । ए पर्वोनो संबंध प्रायः कोई ना आराध्य देव अथवा कोई महान पुरुषोनी साथे छे। तात्पर्य ए छे के भारतीय पर्व महापुरुषोथी संबंधित छे अने ए एमना संदेश, स्मृति अने उपासना हेतु स्थापित थया होय छे । आ धार्मिक अने नैतिक पर्वो तेनी साथे रहेल संदेश तथा उपदेशने पोताना जीवनमां उतारवा माटे छे अने तेना ज माध्यमे व्यक्ति पोतानी उन्नति, कल्याण अने मोक्षसुखने प्राप्त करी शके छे। ____ अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीरस्वामी कार्तिक कृष्णपक्ष (गुजराती आसो कृष्णपक्ष) अमावसना दिवसे स्वातिनक्षत्रमां पावापुरी नगरीमा निर्वाण पाम्या हता। आ महान अने पावन दिवसने जैन परंपरामां 'वीरनिर्वाण' पर्वनां रूपमा उजववामां आवे छे। कृति परिचयः
प्रस्तुत कृति श्री समयसुंदर गणि द्वारा राजस्थानी भाषामां पद्यबद्ध २२ गाथाओमां रचायेली छे। आ कृतिमां दीवालीपर्वनो महिमा बहु सुंदर रीते वर्णवामां आव्यो छे । कर्ताए प्रथम गाथामां 'भजन करो भगवानरा, गणधर गोतमस्वाम' कहीने परमात्मा तथा गणधर श्रीगौतमस्वामीन मंगल स्मरण कर्यु छे. त्यारबाद दीपावलीनी आराधनानो उपदेश देतां कडं के आ दिवसे भगवान महावीरस्वामीनी मुक्ति अने गौतमस्वामीने केवलज्ञान थयु होवाथी आ दिवस मोटो छे अने आ दिवसे निंदा, विकथा, परवंचना वगेरे तथा अन्य पण मोटा पापोनो त्याग करी सामायिक,
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