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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra SHRUTSAGAR www.kobatirth.org 20 वाचकवर्य श्री नयरंग विरचित गौतम पृच्छा संधि Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Septermber-2018 आर्य मेहुलप्रभसागरजी गणधर भगवंत श्री गौतमस्वामी से कौन परिचित नहीं! जो अपनी गृहस्थावस्था में वेद, पुराण, उपनिषद आदि शास्त्रों के प्रकांड विद्वान थे। जिन्होंने परमात्मा महावीर के पास वैशाख शुक्ला एकादशी के पावन दिन अपनी दीर्घकाल संचित शंका का समाधान प्राप्तकर शिष्यत्व - श्रमणत्व के साथ गणधर पद शोभायमान किया । गणधरत्व प्राप्त होते ही किं तत्तं पूछकर अपनी जिज्ञासाओं के समाधानों को स्व-पर के उपकार के लिए प्रकट किया । जिन्हें समुपस्थित पर्षदाओं ने श्रवणकर कर्ण-कुहरों के साथ आत्म-पावन करते हुए अनेक जीवात्माओं ने व्रतादि अंगीकार किये। जिज्ञासा करना भी विशिष्ट गुण है । जिज्ञासा से तत्त्व की महत्वपूर्ण बातों के पूर्ण ज्ञान के साथ अपरिचित नूतन चर्चा भी हृदयगोचर होती है । जिज्ञासा को विनयपूर्वक अभिव्यक्त कर समाधान प्राप्त करने में गुरु गौतमस्वामी का नाम मुखर रूप से लिया जाता है । उपदेशमाला ग्रंथ की छठी गाथा में विनीत शिष्य की पहचान बतलाते हुए गौतमस्वामीजी का उदाहरण भी इसी तथ्य को प्रकट करता है भद्दो विणीयविणओ पढमगणहरो समत्तसुयनाणी । जाणंतो वि तमत्थं विम्हियहिययो सुणइ सव्वं ॥६॥ सब भद्र अर्थात् कल्याण और सुखवाले, कर्म जिससे दूर हो वह विनय, विशेष प्रकार से प्राप्त है विनय जिनको, ऐसे वर्धमानस्वामी के प्रथम शिष्य श्रुतकेवली गौतमस्वामी हु भी अन्य समग्र लोगों को प्रतिबोध करने के लिए प्रश्न पूछते थे और भगवंत जब प्रत्युत्तर प्रदान करते तब विस्मयपूर्वक रोमांचित, प्रफुल्लित नेत्र व मुख की प्रसन्नतापूर्वक प्रत्युत्तर को श्रवण करते थे । उसी तरह विनीत शिष्य को बाह्यअभ्यंतर भक्ति से गुरु के कहे हुए अर्थों को श्रवण करना चाहिए। For Private and Personal Use Only ऐसा कहा जाता है कि गौतमस्वामी के मन में जब भी कोई जिज्ञासा उत्पन्न होती, तब वे अनुभव ज्ञान अथवा विशिष्ट ज्ञान के स्थान पर नम्रातिनम्र बनकर वीरप्रभु से समाधान प्राप्त करते ।
SR No.525338
Book TitleShrutsagar 2018 09 Volume 05 Issue 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2018
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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