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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्रुतसागर www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 19 ॥ श्रीनमीनाथजी वर्णनं ॥ सवेयौ २३ सौ ॥ यादववंश को अंश कहावत नेम नीरंजन' नेम जुधारी ॥ श्री उग्रसेनसुता सय सोड दयी' पशु बांनी सुनी त' करारी ॥ तोरणथे रथ फेर दीये परयाण' कीए गीरनार दिसारी ॥ सहूं के आय नमै हरी पाय शीवादेवी माय जयांणदकारि ॥ श्रीनेमनाथजी वर्णनं ॥ सवेयौ २६ ॥ वामा कै नंदन पाप ही निकंदन चंदन ही शीतल मन भायौ है झिगमिंग मूगट वदन छंद छब क्रांति आगें सूरज ही हरायौ है। कमठ शठ हठ करत दूर नाग युगल' धरेणे (णें) द्र' पद पायौ है। एसै जिनराज सुख काज वद आनंद हरी हर्षधर गुण गायौ है ॥ श्रीपार्श्वनाथजी वर्णनं । सवेयौ २३ सौ श्रीमहावीर वीरां सीरo वीर तपै करी धीर ज्युं मेरू गिरंदो || कंचन काय हरी छिन पाय सिद्धारथ राय अखे कुलचंदो || त्रीसला’ माय तणा सुत पाय भवीजन आय सदा वर वदो । एम हरी वरनै " जिनसासन वीर को भ्रम सदा चिरनंदो " || 10 ॥ श्रीमहावीरजिन वर्णनं ॥ सवेइयौ २४ सौ ॥ सितम्बर-२०१८ 3 वर्ष चउदस संवत अढारमैः भाद्रवा सूद चोथ सवाया ।। नयर नाडुल'2 मै स्तुत करी चतुर्विंसती " ईश्वर के गुण गाया ॥ पंडित जैणे(णें)द्रसागर अकै शिष्य आगम सागर प्राज्ञ कहा तास भणे'4 हरीसागर आखित संपद सुख वीलास पद पाया'' ॥ इति श्रीचोवीस जीनरा चउवीस सवैईया संपूर्ण ॥ 15 For Private and Personal Use Only ॥२२॥ ॥२३॥ 112811 ॥२५॥ 1. B निरंजन, 2. B चोर दई, 3. A श्री उग्रसेनसुता सय सोड दयी पशु सांती सुनी टकरारी, B श्री उग्रसेनसुता सद्य चोर दई पसु बांनी सुनि तकरारी, 4. A परीनांण 5. B दसारी, 6. B जुगल, 7. B धरणेंद, 8. B शिर, 9. B त्रिसल्ला, 10. B वरते 11. B चिरवंदो, 12. B नाडोल, 13. A चतुर्विसती, 14. B तणो, 15. B सुख सुयश कुं पाया,
SR No.525338
Book TitleShrutsagar 2018 09 Volume 05 Issue 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2018
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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