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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 16 श्रुतसागर अगस्त-२०१८ नाण अन्नाण आगम सयजइ३४ हुइ, वचन काया मिली च्यारि जोगा भइ, उरल५ उरालिय मीस कारमणा, सच्चअसच्च तह अचक्खु एग दंसणा ॥७८।। पंच उवओग दुदु नाम अन्नाणया, लेसा किन्हा नीला काऊ सह ठाणया, बार वरसाउखुं अपर विचारणा, पुढवि दारह थकी करो मनि धारणा ॥७९॥ जिम बेंदिया तेइंदिया नासिका, सहित मुख तईय फासिंदिया, तिन्नि गाऊ ऊंचा च्यारि चऊरिंदिया, चक्खु दरसण गाउ पगत बुधारया* ॥८०॥ इगुण पन्नास दिण आऊ उक्कोसया, मास छह चउरिंदीया जहन्न अंतमुहुत्तया, आगति दस गति दस विगति कही, थावर पंच मणु तिरिय विगला लही ॥८१॥ चवन उतपात आहार पुढवी परइं, डं(दं)डक पूर्वइं कह्या तिम ते करइं, प्राण छह बेंद्री(दि)या सात तेइंदिया, आठ संख्या लहइं प्राण चरिंदिया ॥८२॥ ॥ ढाल॥ ॥८३॥ भणिसु समुच्छिम तिरिय नाम पंचिदिय उदार(दार) उरालिय कम्मणा तेजसा तिन्नि ऊ(उ)दार, जहन्न देह अंगुल असंख्य अवगाहन भाग, जलचर जोयण सहस एक उक्कोस विभाग थलचर गाऊ दुन्नि देह नव जोअण सीम, ख(खे)चर पंचिदिया देह धनुष नव अधिको नीम, उरि(र)परि भूजपरि सापजाति क्रमि जोयण धनुष, दुन्नियादि नव अंत कह्यो देहमान विशेष छेवट्ठो संघयण हुंड संठाण ज एक, सन्नी चउ कोहादि चउर तिनि लेश्या रेक, कृष्ण नील कापोत अशुभ इंद्रिय हुई पंच, समुदघात वेदना आदि तिनि मरण-प्रपंच सदा असन्नी वेद एक जे अशुभ नपुंस, पर्यापति मन विना पंच आहार विशेष, ॥८४|| ॥८५॥ * चक्खु दरसण योजन एग तनु धारया आवो पाठ होई शके खरो For Private and Personal Use Only
SR No.525337
Book TitleShrutsagar 2018 08 Volume 05 Issue 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2018
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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