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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुतसागर जुलाई-२०१८ वळी जिनालयनी प्रतिष्ठाओ अंगे पण जो विचारीए तो अहींना शिलालेखो श्वेतांबर समाज साथे गाढ संबंध धरावे छ । प्राप्त थता शिलालेखादिना उल्लेखो मुजब आ तीर्थनो जीर्णोद्धार वि. सं. १६४३ महासुद १३ना शेठ भामाशाहे करावी शिखर पर ध्वजदंड कळशनी प्रतिष्ठा करी हती। त्यारपछी वि.सं. १७३२मां विजयगच्छना आचार्य सुमतिसागरसूरिजीना शिष्य आचार्य विज(न)यसागरसूरिए तीर्थाधिपति ऋषभदेवप्रभुजीनी प्रतिष्ठा कर्यानो शिलालेख मळे छे । ते पछी पण वि.सं. १७५६मां जिनालयनी प्रदक्षिणामां ५२ जिनालयनी देरीओनी प्रतिष्ठानो उल्लेख नोंधायो छे । ___प्रतिष्ठाना संबंधमां छेल्लो शिलालेख वि.सं. १८०१ वैशाख सुद ५ नो मळे छे, जेमां आ जिनालयमां जगवल्लभ पार्श्वनाथप्रभुजीनी प्रतिष्ठा बृहद् तपागच्छना पू. सुमतिचंद्रगणिए करी तेवो उल्लेख कवि केसरकीर्ति गणिए कर्यो छे। ___महोपाध्याय विनयसागरजीनीनोंधमुजब श्रीअगरचंदजी नाहटाए केसरियाजीमां घणा एवा शिलालेखो जोया हता के जेमां प्रतिष्ठापक आचार्य तरीके विजय(मत) गच्छना आचार्य- नाम हतुं । आ मत(गच्छ) पण श्वेतांबर संघाश्रित छ । प्रस्तुत कृति अंगे प्रस्तुत लेखमां संपादित थयेल कृति केसरियाजी आदिनाथ उपर रचायेली पद्य रचना छे। कविए काव्यना प्रारंभमां 'मां' शारदाने प्रणमी प्रभु गुण गावा माटे प्रशस्त वाणीनी प्रार्थना करी छे । माता-पिता-नगरादिना उल्लेखवाळी त्रीजी गाथा पछीनी ४ गाथाओमां कविए प्रभुना लोकोत्तर गुणोनी वर्णना करी छे, ज्यारे त्यारपछीना ७ पद्योमां प्रभुजीनी पूजाथी थता इहलौकिक लाभोनी रजुआत करी छ। काव्यनी छेल्ली ३ गाथाओमां ऐतिहासिक कही शकाय तेवी सं. १७३३मां शेठ भोगीदासनी साथे कविए आ तीर्थनी यात्रा कर्यानी तेमज पोतानी गुरुपरंपरानी सामान्य नोंध आपी कृतिनुं समापन कर्यु छ। काव्यमां गुरुपरंपरानो उल्लेख करता कविए फक्त पोताना गुरु तरीके सुमतिसूरिजीना नामनो उल्लेख कर्यो छे । नथी त्यां तेमना गच्छनो उल्लेख के नथी उल्लेख अन्य गुरु परंपरानो । तेथी विगते तपासता अमोने कविना जीवननी केटलीक महत्त्वपूर्ण माहिती मळी छे, जे अहीं अमे वाचकोनी जाण माटे नोंधीए छीए विद्वानो ते अंगे योग्य विचारणा करे। 1. शिलालेख वांचनारनी असावधानी ने कारणे विनयसागरने बदले विजयराजसूरि’ ए वाचना दोष ___थयो छे. प्राप्त शिलालेखोमां बधे ज सुमतिसागरना शिष्य तरीके विनयसागर नाम जोवा मळे छे. For Private and Personal Use Only
SR No.525336
Book TitleShrutsagar 2018 07 Volume 05 Issue 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2018
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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