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जून-२०१७
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श्रुतसागर
चोंपई नीलवननो माडु मेलिं, सघली जाति तणां माहि भेलिं; दांतण लीबू कोठीबडा, पान तुरीया नै कालिंगडा चीभड जाति कहिसुं मिली, दाडिम बीजोरूं आंबली; कंकोडा डोडीनइ फली, मतीरा आंबा आरी यांवली फोहुंक गहुं जोयार बाजरी, खेजडी नीलीरायण सेलडी; अरूडूसो लीबडो जाति ज फली, नीलूओ फालसा लीउ मनरूली तुअर नीली लीला चणा, सूआभाजी काकडी महीमणा; नीलवणि ए मनमा धरू, धान तणी हवि संख्या करू चोखा जाति तूअर बाजरी, मसूर चोला मणची धरी; कलछ कोदीरा चिणो माल, मुंग मोंठ नइ जव तूरी वाल मेथी चिणा गह गोखरू, भींडी वे कही उबल वरूं: कूरी राई वेसण जेह, विरहा लावा लूलीआ तेह बरटी कांग अडद नै सूआ, सामो अलसी तिल जूजूंआ; समलाई आदिक धानह घणां, दिवस प्रति दश करूं सालणा दश सेर जन करू पकवान, मेवा-मीठाई दो सेर मान; सेर त्रीस राध्यों वली धान, घडा दोय पाणीनो मान पनर करमादान जे होय, मुज कायाइ न करूं सोइ; दोय सहस रूपीया संच, लेता-देता न करूं खलकंच थोडइ पापि करूं व्यापार, जेणिं जीव लहइ भवपार; आठमइ व्रतै कहुं ए सार, अनरथ दंड तणो परिहार भिंसा कूकड हाथी झूझता, नटुआ पात्र होइ नाचता; बजाणीयां कोतुग अतिचंग, एह तणा नवि निरखं अंग सती चोर मारी तो जे अ, उ देरी नवि जोउ ते अ; मरणदुखे सुखइ जीववू, इंद्रादिक पद सुख वांछवू गाम नगर देशादिक भंग, चिंतुं नहीं हुं धरी मनरंग; भंडी बूद्धि पाप उपदेश, देता होइ घणो कलेश घरटी उखल-मुंसल जेह, सज्ज करी नवि मुकुं तेह; षट्पर्वी माथा जोउ नहीं, पचखांण हवें ए सही
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