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SHRUTSAGAR
June-2017 आ व्रत संयमजीवननी शिक्षा स्वरूप छे. तेथी जेम मुनिओ कोई पण चीजनी अपेक्षा न राखतां चलावी लेवानी भावनावाळा होय छे, तेम श्रावके पण ए ज लक्ष्यथी आ व्रतनो अभ्यास करवानो छे.
सम्यक्त्व मूळ बार व्रतमां अग्यारमुं अने शिक्षाव्रतमां त्रीजुं व्रत ‘पोषधोपवास व्रत' छे. पौषध शब्दनो अर्थ छे धर्मनी पुष्टि करे तेवी एक विशिष्ट क्रिया अने उपवासनो अर्थ छे आहारनो त्याग करी आत्मानी नजीक वसवानो प्रयत्न. उपवासपूर्वक करातां आ पौषधने पौषधोपवास व्रत कहेवाय छे. शब्दनी व्युत्पत्तिने आहार, शरीरसत्कार, अब्रह्म अने सावध व्यापार आ चारनो देशथी के सर्वथी त्याग करवो ते पौषधोपवास व्रत छे. वर्षमां अमुक संख्यामां पौषध करवा एवा नियम द्वारा आ व्रत- पालन करी शकाय छे.
सम्यक्त्व मूळ बार व्रतमां छेल्लु अने शिक्षा व्रतमां चोथु अतिथिसंविभाग व्रत' छे. साधु आदि अतिथिने दान आपी पछी भोजन करवू ते अतिथिसंविभाग व्रत छे. स्व अने परना उपकार माटे पोतानी वस्तु अन्य पात्रने आपवी ते दान छे. ____ आ प्रमाणे बार व्रत यथाशक्तिए धारण करवाथी, प्रमाण नक्की करी तेनुं पालन करवाथी कर्मो खपे छे अने पुण्यानुबंधी पुण्यनु उपार्जन थाय छे.
सम्यक्त्वमूल बार व्रतनुं विवरण कर्या बाद कर्ताए संक्षेपमां पंदर कर्मादाननी सुंदर रजूआत करी छे. १. अंगार कर्म : जेमां अग्निनो उपयोग वधु प्रमाणमां होय तेवो धंधो ते अंगारकर्म
छे. चूनो, ईंट, नळीया, कोलसा, धुपेल तेल वगेरे चीज भठ्ठीथी पाकती होय तेनो
वेपार न करवो. २. वन कर्म : जेमां वनस्पतिर्नु छेदन-भेदन मुख्य छे तेवा व्यापारथी धन कमावq
ते वन कर्म छे. लाकड़ा, फळ, फूल, पत्रादि वेचवा वगेरेनो व्यापार वनकर्म
कहेवाय. ३. शकट कर्म : गाडी, गाडां, ट्रक, वहाण, स्टीमर, प्लेन वगेरे अनेक प्रकारनां वाहनो,
के तेना स्पेरपार्ट्स बनावी वेचवां के चलाववा अथवा ट्रावेल एजन्सी चलाववी ते शकटकर्म छे. आ धंधामां वाहनो बनाववामां अने वाहनोना वपराशमां स्थावर
उपरांत त्रस जीवोनी घणी हिंसा थाय छे. ४. भाट कर्म : वाहनो तथा हाथी, घोडा, ऊंट वगेरे जानवरो भाडे आपी धनोपार्जन
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