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श्रुतसागर
जून-२०१७ करवू, वगेरे ते भाटक कर्म छे. ५. स्फोटक कर्म : पृथ्वी-पथ्थर वगेरेने फोडवां , सुरंगो बनाववी गुफाओ के मार्ग
बनाववा ब्लास्टींग करवू तथा घउं, चणा, जव वगेरे अनाज फोडवां, कुवा, तळाव, वाव वगेरे खोदाववां, खेतर खेडवां वगेरे व्यापारने स्फोटक कर्म कहेवाय
६. दांतनो व्यापार : दांतना उपलक्षणथी प्राणीनां कोई पण अवयवने ग्रहण करवाना
छे जेमके नख, वाळ, रुंवाटी, हाडकां, चामडी आदिनो व्यापार करवो ए दंत
वाणिज्य' नामना कर्मादानना धंधा कहेवाय छे. ७. लाखनो व्यापार : लाखना उपलक्षणथी अहीं तेना जेवां बीजां सावद्य द्रव्यो घातकी
वृक्ष के जेनी छाल अने पुष्पमांथी दारु बने छे ते तथा टंकणखार, साबु बनाववाना
क्षार वगेरेनो वेपार करवो ते 'लक्ष-वाणिज्य' नामना कर्मादाननो धंधो छे. ८. रसवाळा पदार्थोनो व्यापार : दूध-दही, घी, तेल, गोळ, मध, मदिरा, मांसनो
व्यापार करवो. रसना उपलक्षणथी बधा आसवो एटले के मदिरानो व्यापार
करवो ए रस-वाणिज्य' नामनो कर्मादाननो व्यापार छे. ९. केशनो व्यापार : पशु-पक्षी आदिना केशनो व्यापार करवो ते 'केश-वाणिज्य'
नामना कर्मादान तरीके ग्रहण करवानो छे. १०. झेरी चीजोनो व्यापार : झेर, हरताल, वच्छनाग, सोमल आदि झेरी चीजो,
डी.डी.टी., मच्छर-जू-उंदर मारवानी दवाओ तथा खेतीमां वपराती जंतुनाशक दवाओ वगेरे सर्वे झेरी चीजोनो व्यापार विष-वाणिज्य'नामना कर्मादान तरीके
ग्रहण करवो. ११. यंत्र-पीलन कर्म : तेल काढवानी घाणी, शेरडी पीलवानो संचो, खांडणीओ,
सांबेलु, पवनचक्की तथा अनाजने खांडवां, दळवां, भरडवां वगेरे यंत्रो चलावीने धंधो करवो ते 'यंत्र-पीलन कर्म' छे. वीजळीनी शक्तिथी चालती मील, जीन,
प्रेस ए सर्व यंत्र-पीलन नामनुं कर्मादान कहेवाय छे. १२. निन्छन कर्म (अंगछेदन कर्म) : बळद, पाडा, ऊंट वगेरेनां नाक वींधवा,
आंकवो, डाम देवा, आखला-घोडा वगेरेनी खसी करवी, ऊंट वगेरेनी पीठ गाळवी वगेरे कार्यों द्वारा आजीविका चलाववी ते 'निन्छन कर्म' नामना कर्मादान तरीके ग्रहण करवू.
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