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श्रुतसागर
जून-२०१७ छठ अठम तप आकरा, कीधा धरम अनेक, जयो जिन पासजी; पडिकमणां पोसा घणा, श्रावक धरीय विवेक, जयो जिन पासजी ॥५॥ सांगी देवरावी घणी, रातीजगा कर्या सार, जयो जिन पासजी; भेरी नफेरी वाजतै, ताल कंसाल अपार, जयो जिन पासजी
॥६॥ याचक जन गायै घणुं, आप्या बहुलां दान, जयो जिन पासजी; पोथी पूजी प्रेमस्युं, आप्या आहर मान, जयो जिन पासजी प्रभावना पूजा करी, सांभल्या कल्प वखाण, जयो जिन पासजी; पास जिणंद पसाउले, सह चड्या तप परिमाण, जयो जिन पासजी पुनिमगच्छ दीपावक, पूरइ वंछित कोडि, जयो जिन पासजी; एहवा श्रावक गुणनिला, आणंदादिक जोडि, जयो जिन पासजी खरच कर्या मन खांति स्युं, संतोष्या सहू साथ, जयो जिन पासजी; लाहो लीधो लक्ष्मी तणो, पामी पुन्यनी आथ, जयो जिन पासजी पुनिमगच्छपट्टोधरुं, जयवंता गुरुराय, जयो जिन पासजी; यश-कीरति जगमै घणी, प्रणमै सहू कोई पाय, जयो जिन पासजी ॥११॥ श्रीमहिमाप्रबसूरिना, भावरतन भणइ सीस, जयो जिन पासजी; रूपपुर पासजिणेसरू, गाता लही जगीस, जयो जिन पासजी ॥ इति श्रीरूपपुर पार्श्वजिनेश्वर स्तवनम्॥सम्पूर्णम्॥सर्वगाथा ४०॥
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पस्तकें भेंट में दी जाती हैं। आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर, कोबा में आगम, प्रकीर्णक, औपदेशिक, आध्यात्मिक, प्रवचन, कथा, स्तवन-स्तुति संग्रह आदि विविध प्रकार के साहित्य तथा प्राकृत, संस्कृत, मारुगुर्जर, गुजराती, राजस्थानी, पुरानी हिन्दी, अंग्रेज़ी आदि भाषाओं की |भेंट में आई बहुमूल्य पुस्तकों की अधिक नकलों का अतिविशाल संग्रह है, जो हम किसी भी ज्ञानभंडार को भेंट में देते हैं. ___ यदि आप अपने ज्ञानभंडार को समृद्ध करना चाहते हैं तो यथाशीघ्र संपर्क करें. पहले आने वाले आवेदन को प्राथमिकता दी जाएगी.
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