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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org SHRUTSAGAR 10 श्री विमलसोमसूरि पटधार, एह पालइ पंचाचार । जे सवि जी विकार लाल (।) रे ॥४॥ वाणी रसि मोह्या भूप, उपसम रस जाणे कूप। मनमोहन अभिनव रूप लाल रे ॥५॥ शीलई सु(मु?) नि जंबुकुमार, लबधइं गौतम गणधार । कलियुगमांहि धनुन्ना) अणगार लाल (1) रे ॥६॥ चिरप्रति एह गुरुराय, सोवनवरणी जस काय | वाचक राजरतन गुण गाय लाला रे ॥७॥ इति श्री विशालसोमसूरि भास ॥ छ ॥ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir September-2015 ज्ञानमंदिरना प्रकाशनो आ श्रुतसेवा अने श्रुतोपासना ए ज्ञानमंदिरनी आरत छे. जे देव अने गुरुना निःस्वार्थ अने उन्नतिकारक मार्गदर्शनथी आ पुण्यकार्य नदीनी जेम निरंतर थया करे छे.... कार्योंथी विचारक वर्ग, संशोधक वर्ग अने श्रद्धाळु वर्गने आनंद अने अहोभाव थाय ए सहज छे. श्री संघना चोगमने वधुने वधु प्रकाशित करवा माटे ज्ञानमंदिर तरफथी साहित्योपासनाना नक्कर परिणाम स्वरूपे नवा प्रकाशनो प्रकाशित थया छे. कैलास 'श्रुतसागर ग्रंथसूची भाग - 18 हस्तप्रतोना सूचिकरणमा जे ग्रंथो थकी एक नवीन परिपाटी श्रीसंघ अने विद्वद्समाजना करकमलोमा समर्पित थई छे. एवी कैलासश्रुतसागर ग्रंथसूचीनो अढारमो भाग प्रकाशित थई गयेल छे. For Private and Personal Use Only धम्मं शरणं पवज्जामि भाग 1-4 (गुजराती) जीवनना भीतरी रहस्योने उजागर करता ग्रंथोनी श्रेणिमां धर्मबिन्दु ग्रंथनुं स्थान आगवुं छे. ए ग्रंथ उपर आचार्यदेव भद्रगुप्तसूरिजी म. सा. नुं प्रवचन स्वरूप विवेचन प्राप्त थाय ए आनंदनी मोटी बीना छे. कुल चार भागोमा धर्मबिन्दु ग्रंथना मर्मने 'आलोकित करती ग्रंथ एटले धम्मं शरणं पवज्जामि...
SR No.525302
Book TitleShrutsagar 2015 09 Volume 01 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2015
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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