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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHRUTSAGAR July-Aug-2015 शारदा लिपि के समकालीन या कुछ उत्तरवर्ती लिपि देवनागरी है। इन दोनों लिपियों में वर्णविन्यास एवं लेखनपरंपरा की दृष्टि से आपसी साम्य भी दिखाई पडता है। अतः देवनागरी को शारदा लिपि की लघु भगिनी कहा जा सकता है। इस पर शारदा लिपि का प्रभाव स्पष्ट दिखाई पडता है। कालान्तर में शारदा सिर्फ काश्मीर तथा उसके आसपास के क्षेत्रों तक ही सीमित रही जबकि नागरी लिपि धीरे-धीरे संपूर्ण उत्तर भारत में प्रयुक्त होने लगी। ___टाकरी, डोगरी, गुरुमुखी, पंडवानी, चंदवानी, भटाक्षरी, पाबुची, महाजनी तथा तिब्बत की भोट लिपि भी शारदा लिपि से ही विकसित हुई हैं। अतः इस लिपि को उपरोक्त समस्त लिपियों की जननी कहा गया है। लेकिन यहाँ बडे ही अफ़सोस पूर्वक यह लिखना पड रहा है कि आज शारदा लिपि का चलन हिन्दुस्तान में पूर्णतः बन्द हो चुका है। इस लिपि को जाननेवाले भी गिने-चुने ही बचे हैं, जो बेहद् चिन्ता का विषय है। सदियों से भारतीय पुरातन ज्ञानसंपदा को अपने वर्गों में संजोकर हम तक सुरक्षित पहँचाने वाली इस लिपि को आज संरक्षण की महती आवश्यकता है। अतः विद्वानों से नम्र निवेदन है कि इस लिपि के पठन-पाठन में यथा योग्य सहयोग प्रदानकर इसका संरक्षण एवं संवर्धन करें; जो हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है। शारदा लिपि नामकरण विषयक अवधारणा : शारदा लिपि के नामकरण के विषय में स्पष्ट साक्ष्य उपलब्ध नहीं हैं। लेकिन अनुमान के आधार पर कह सकते हैं कि इस लिपि का उदय काश्मीर प्रान्त में हुआ। काश्मीर की आराध्य देवी भगवती शारदा हैं। इसी कारण इस प्रदेश को शारदा देश भी कहा जाता है। अतः शारदा देश की लिपि होने के कारण इसे शारदा लिपि के रूप में प्रसिद्धि मिली। पाश्चात्य पुरातत्त्वविद एस.वी. शातदा ने अपनी पुस्तक कश्मीर वोकाबुलरी' (लंदन संस्करण) में कहा है कि 'शारदानन्दन नामक किसी विद्वान् ने कश्मीरी भाषा को लिखने में इस लिपि का प्रयोग किया, अतः इसका नाम शारदा लिपि पडा। यह अनुमान ऐसा ही है जैसा कि नागरी लिपि के नामकरण के विषय में नागर ब्राह्मणों के द्वारा लेखनकार्य किये जाने के कारण नागरी नाम पडना। लेकिन शारदालिपि नामकरण विषयक इस अनुमान के सिद्ध होने की संभावना बहुत ही कम है। For Private and Personal Use Only
SR No.525301
Book TitleShrutsagar 2015 07 08 Volume 01 02 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2015
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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