SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 14
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुतसागर जुलाई-अगस्त-२०१५ रायबहादुर पं. श्री गौरीशंकर हीराचंद ओझा ने अपनी प्रसिद्ध कृति 'भारतीय प्राचीन लिपिमाला' में शारदा देश में उत्पन्न एवं विकसित होने के कारण ही इस लिपि का शारदा नाम से प्रसिद्ध होना लिखा है जो उचित प्रतीत होता है। पाश्चात्य विद्वान् डॉ. ब्यूलर तथा डॉ. एम.ए. स्टॉन ने भी इस लिपि के शारदा देश में प्रचलित तथा उत्पन्न होने के कारण इसका नाम शारदा के रूप में प्रसिद्ध होने की संभावना व्यक्त की है। जब तक स्पष्ट प्रमाण नहीं मिलते तब तक शारदा देश में उत्पन्न व प्रचलित होने के कारण तथा शारदा देश की सर्वमान्य लिपि होने के कारण ही इसका नाम शारदा लिपि के रूप में प्रसिद्ध होना सर्वसम्मत प्रतीत होता है। शारदा लिपि की विशेषताएं: * यह लिपि ब्राह्मी, नागरी, ग्रंथ तथा अन्य भारतीय लिपियों की तरह ही बायें से दायें लिखी जाती है। * इस लिपि में नागरी लिपि की तरह शिरोरेखा लगाकर लिखने का विधान है, जो हमें ब्राह्मी तथा ग्रंथ लिपियों में नहीं मिलता। * शारदा तथा देवनागरी लिपियों में अत्यन्त साम्य दृष्टिगोचर होने के कारण इन दोनों लिपियों को सगी बहेनों की संज्ञा प्राप्त है। * इसका स्वरूप अत्यन्त नेलाकर्षक एवं किंचित स्थूलाक्षरात्मक है। अतः इसे स्थूलाक्षर लिपि भी कह सकते हैं। * मोटी कलम द्वारा अक्षरों के लेखन की परंपरा होने के कारण इस लिपि में निबद्ध हस्तप्रतों को स्पष्टतया पढा जा सकता है। जिस कारण लिप्यन्तर या संपादन आदि में अशुद्धि होने की संभावना कम हो जाती है। * यह लिपि हस्तनिर्मित कागजों पर लिखने के लिए उपयोगी लिपि है। हालाँकि इस लिपि में निबद्ध ताडपत्नीय पाण्डुलिपियाँ भी उपलब्ध हैं, लेकिन इसके अक्षरों का आकार स्थूल होने के कारण तथा ताडपलों में कागज के मुकावले स्थानाभाव के कारण इसे कश्मीरी कागजों पर लिखने हेतु महत्त्वपूर्ण लिपि माना गया है। * यह लिपि काश्मीर तथा पंजाब के राजकीय कार्यालयों में भी प्रयुक्त होती रही है। अतः इसे तत्कालीन राजकीय कार्यकाज़ की लिपि होने का गौरव प्राप्त है। For Private and Personal Use Only
SR No.525301
Book TitleShrutsagar 2015 07 08 Volume 01 02 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2015
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy