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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHRUTSAGAR July-Aug-2015 डी.आर. साहनी ने पाकिस्तान से प्राप्त अभिलेख के आधार पर छठी शताब्दी माना है। भूषणकुमार कौल डेंबी सातवीं शताब्दी का उत्तरार्ध मानते हैं। जापान के होरयुजी विहार में विद्यमान 'उष्णीषविजय-धारिणी' नामक ताडपत्रीय ग्रन्थ के अन्तिम पत्र पर शारदा लिपि की संपूर्ण वर्णमाला लिखी हुई मिलती है। अनुमान है कि यह पत्र लगभग पाँचवीं शताब्दी के उत्तरार्ध से छठी शताब्दी के पूर्वार्ध में लिखा गया होगा। 'गिलगिट' एवं 'तुर्फान' आदि स्थानों से प्राप्त शारदा लिपिबद्ध अत्यन्त प्राचीन हस्तप्रतों से इसकी प्राचीनता एवं व्यापकता स्वयं प्रमाणित है। साथ ही जो शिलालेख तथा अभिलेख प्राप्त हुए हैं उनसे भी इस लिपि की प्राचीनता, मान्यता एवं लेखनशैली की विविधता के साक्षात दर्शन होते हैं। इनमें चांबा अभिलेख, कांगडा का अभिलेख, अटक शिलालेख, कष्टवार शिलालेख, जयसिंह कालीन शिलालेख, तापर का प्रस्तर शिलालेख, विजयेश्वर का शिलालेख, कपटेश्वर शिलालेख, खुनमूह शिलालेख, उस्कर का शिलालेख आदि प्रधान हैं, जो श्रीनगर के संग्रहालय में संग्रहीत हैं। इन शिलालेखों से ज्ञात होता है कि शारदा लिपि लगभग पन्द्रवीं शताब्दी के आसपास सर्वत्र प्रचलित थी और राजकीय कार्यों में भी प्रयुक्त होती थी। ___ यह लिपि विशेषरूप से काश्मीर में विकसित हुई। यहाँ प्रायः समस्त संस्कृत वाङ्मय शारदा लिपि में ही लिखा गया। काश्मीर को 'शारदा देश' या 'शारदा मण्डल' के नाम से भी जाना जाता है। आज भी यहाँ के ग्रन्थागारों में इस लिपि में निबद्ध हस्तप्रतों को संजोकर रखा गया है। समय-समय पर भारत आनेवाले विदेशी विद्वान इस लिपि में निबद्ध अनेकों ग्रन्थों को अपनी-अपनी लिपियों में लिप्यन्तर कर अपने साथ ले जाते रहे हैं। इन लिप्यन्तरित प्रतियों के साथ मूल प्रतियाँ भी एक स्थान से दूसरे स्थान या एक देश से दूसरे देश तक गई हैं। वर्तमान में ऐसे कई ग्रन्थों के साक्ष्य हमारे सामने विद्यमान हैं जिनकी शारदा लिपि से अन्य लिपियों में लिप्यन्तरित प्रतिलिपियाँ तो उपलब्ध हैं लेकिन उनकी मूल शारदा लिपिबद्ध प्रतें अनुपलब्ध हैं। ये प्रतें अब कहाँ होंगी और किस दशा में होंगी यह अत्यन्त महत्त्वपूर्ण एवं विचारणीय विषय है। एक योजनाबद्ध सर्वेक्षण द्वारा अन्धकार में निमग्न इन पाण्डुलिपियों को खोजने की आवश्यकता है। 8. El, Vol. XX88, p.919-96 And Plate. २. Deambi B.K. Kaul, Crops of Sharda Inscriptions of Kashmir, p. ६०. For Private and Personal Use Only
SR No.525301
Book TitleShrutsagar 2015 07 08 Volume 01 02 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2015
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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