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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org SHRUTSAGAR 11 नाभिनरे सरकुलतिलउ रे, मरूदेवीमातमहभार । सोवनवन सोहामणु रे, आशापूरणहार ॥५॥ सुनंदा-सुमंगलानाहलु रे, पांचसई धनुष सुदेह लाख चुरासी पूरव तणुं रे, पाली आयु सुखगेह ॥ ६ ॥ ॥ इति श्रीआदिनाथस्तवनम् ॥छ॥ प्रण अजितनाथ, मनरंगि निरंतर, जितशत्रु- विजयादेवि पुत्र, नित प्रणमइ सुरनर, तारंगागिरि मंडणु प्रभु कुमर विहार, भाव धरी जे धरइ ध्यान, तस भवजल तारइ, श्रीविशालसोमसूरिंदवर, ध्याइं जस बहु ध्यान, कामितफलदायक नमुं, मुंकी मत्सर-मान ॥१॥ ॥ इति अजितजिन नमस्कारः ॥ विमलाचलपुरवर धणी रे, आदिजिणंद सुखकार । श्रीविशालसोमसूरि सेवीउ रे, कवि संघसोमनइ जयकार ॥७॥ अजित अजित वंदु, कर्मवल्ली निकंदु, जितशत्रुकूलचंदु, मातविजया सुनंदु, नतनितसुरिंदु, भावसिउं जे फणिंदु, श्रीविशालसोमसुरिदु, जास पादारविंदु ॥२॥ ।। इति अजितनाथस्तुतिः ॥ छ। वीजा देव व हुं अहिनिशि घ्याउं, श्रीजितारिनृपपुत्र, ध्यान ध्यातां सुख पाउं, सेनामाताकूखिहंस, सुरनर गुण गाइ, भक्तिभाव सेवा करइ, ते श(शि) वपुरि जाइ, Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only MAY-JUNE-2015 ऋषभजिन! तुम्हसिउं... ऋषभजिन! तुम्हसिउं .... ऋषभजिन! तुम्हसिउं...
SR No.525300
Book TitleShrutsagar 2015 05 06 Volume 01 12 13
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2015
Total Pages84
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size6 MB
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