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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 13 श्रुतसागर अप्रैल-२०१५ प्रस्तुत कृति आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिरमां प्रत नं. ८४५४८मां संगृहीत छे. वि. सं. १९मी सदीमां लखायेली आ प्रतना एकथी चौद सुधीना पत्रो अनुपलब्ध छे, ज्यारे पंदरथी अढार नंबरना पत्रोमां कुल बार कृतिओनुं आलेखन थयु छे. प्रत परिमाण २५.५०x१० छे, अने पत्रनी कुल १६ लाईनमा ५३ जेटला अक्षरोनुं आलेखन थयु छे. प्रतनी किनारीनो भाग अधिक उपयोगना कारणे साधारण खंडित थयेलो छे. कृतिना आलेखनमा विशेष पाठ दर्शाववा तेमज गाथांक सूचववा माटे लाल रंगनो वपराश थयेलो छे. प्रस्तुत कृति विजयाणंदसूरिजीनो सामान्य परिचायक स्वाध्याय छे. प्रस्तुत कृति नव कडीमां रचायेली छे. कविए प्रारंभनी बे गाथाओमां विजयतिलकसूरिना पट्टधार अने तपागच्छना शणगार तरीके विजयाणंदसरिनो परिचय प्रस्तत कर्यो छे. आगळनी कडीमां माता-पिता, अने पोरवाड ज्ञाति प्रत्ये धन्यतानो भाव दर्शावी कविए विजयाणंदसूरिजी प्रत्येनो अहोभाव व्यक्त कर्यो छे. ___ माता-पिता, भुआ सेंजबाई अने चारेय भाई वैराग्यवासित होवानो उल्लेख करी, विजयाणंदसूरिजी महाराजना दीक्षा नामनो उल्लेख करे छे. आज कर्ता द्वारा रचायेल विजयाणंदसूरि रासमां मुगथला महावीर (मुछाळा)मां हीरविजयसूरिना उपदेशथी शा .श्रीवंत अने शणगारदेना चतुर्थव्रत स्वीकारनो अने चारेय पुत्रो मोटा थाय त्यारे चारित्र ग्रहणनुं वचन आप्यानो उल्लेख मळे छे. प्रस्तुत कृतिमा स्थानाभावने कारणे दीक्षास्थान, दीक्षासमय जेवी विगतोनो उल्लेख करवान कविए टाळ्यं छे. प्रस्तुत कृतिमां मळतो सेंजबाईनो वैराग्यवासित होवानो के दीक्षा लेवानो उल्लेख विजयाणंदसूरि रासमां प्राप्त थतो नथी. विजयाणंदसूरिनी पट्टस्थापनानो उल्लेख अने ए निमित्ते थयेली प्रभावनानो उल्लेख करी, कवि एमना गुणोनुं वर्णन करे छे, विजयाणंदसूरिनो प्रताप विस्तरे एवा भाव अने अहोभाव पूर्ण मनोरथो साथे कृतिनुं समापन थाय छे. प्रस्तुत कृति आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिरमा प्रत नं. २८३९६मां संगृहीत छे. प्रतमां आ कृति सिवाय अन्य एक नेमराजिमती स्तवननु आलेखन थयु । विक्रमनी ओगणीसमी सदीमां आलेखायेली प्रतनुं परिमाण १६.५०x११ छे, अने पत्रनी कुल ११ लाईनमा १८ जेटला अक्षरोनुं आलेखन थयु छे. कृतिनुं आलेखन प्रतमां उभु थयु छे. अंक अने दंड माटे खाली जग्या राखी छे. आ प्रत अने कृतिनी विशेष विगत कैलासश्रुतसागर ग्रंथ सूचि भाग - ७मा प्रकाशित थयेल छे. For Private and Personal Use Only
SR No.525299
Book TitleShrutsagar 2015 04 Volume 01 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2015
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size5 MB
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