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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra SHRUTSAGAR www.kobatirth.org 14 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (१) विजयप्रभसूरि स्वाध्याय आज आणंदी (दो) हे सखी, भेट्य (या) तपगछराय (हो लाल । सहज सलूणां साहिबा, श्रीविजेप्रभु (भ) सूरीराय हो लाल ॥१॥ गछपति वेग पधारीए, वाज्या भुंगा (ग) ल-ढोल हो लाल । घरि-घरि हुवा वधामणा, घरि-घरि अतिरंग हो लाल ॥२॥ (आंकणी) कोकिलकंठे कांमिनी, संझि करी सोल श्रृंगार हो लाल । ओढ पीतांबर पांसी, गले टंकावली हार हो लाल ||३|| मृग्या (ग) नयणी टोले मीली, गावे गीत रसाल हो लाल । सुगुर(रु) वधावे रंगस्युं, भरि भरि मोत्यां थाला हो लाल ॥४॥ जिम भमरा मन मालती, जिम सखी चंद चको [र] हो लाल । मानसरोवर हंसली, जिम जलधर में मोर हो लाल ॥५॥ अहनिस समरुं हुं सदा, कोयल अंब रसाल हो लाल । तिम हुं तुझ समरुं सदा, साहिबीया सुक (कु)माल हो लाल ||७|| APRIL 2015 आज भले दिन उगीओ, सू(सु) रतरु फलीहो (यो) गेह हो लाल । भेट्या तपगछराजवी, दुधे वुठा (ठ्या) म (मे)ह हो लाल ॥८॥ For Private and Personal Use Only गछपति वेग... गछपति वेग... जिम चकवा वित दि(ही) र मणी (णी), विलसे मास वसंत हो लाल । तिम निरखुं गुरु माहरा, रिदयकमल विह(क) संत हो लाल ॥६॥ छपति वेग... गछपति वेग... गछपति वेग... गछपति वेग... गछपति वेग...
SR No.525299
Book TitleShrutsagar 2015 04 Volume 01 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2015
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size5 MB
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