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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHRUTSAGAR 40 January-February-2015 ग्रंथोमांथी ज मळी आवे छे. कारण के तेमणे पोताना अभिधानचिंतामणि नामे संस्कृत कोषनी टीकाना प्रारंभमां ज 'व्युत्पत्तिर्धनपालतः ' एवो उल्लेख करी शब्दोनी व्युत्पत्तिना विषयमां धनपालना कोषने प्रमाणभूत मान्यो छे. एवी ज रीते देशी नाममालानी टीकामां पण धनपालनो नामोल्लेख करेलो मळी आवे छे. आ कोष हालमां क्यांये पण मळी आवतो नथी. आवी ज रीते लावण्यवती नाममाला पण क्यांये जोवा जाणवामां नथी. लावण्यवती ए स्त्रीवाचक विशेषणनो तात्पर्य शो हशे ते खास जिज्ञासा उत्पन्न करे छे. काव्यग्रंथोमां श्रीहर्षकृत नैषधमहाकाव्यनी बे त्रण टीकाओ (नं. ८४, ८६, ८७)नी नोंध तरफ ध्यान खेंचाय छे. नं. ८४मां जणाव्या प्रमाणे ए महाकाव्य उपर खुद कविना पौत्र नामे कमलाकरगुप्ते मोटुं भाष्य रच्युं छे जेनी श्लोक संख्या ६०००० लखेली छे. संख्यासूचक आंकडाओमां जो कोइ जातनी भूल न होय तो आ भाष्य केलं मोटुं अने विस्तृत हशे तेनी कल्पना ज करवी कठिन छे. संख्यानी वातनो विचार न करीए तो पण कमलाकरनी कृतिनी दृष्टिए तो एमां नवीनता छे ज. ए नाम अने ग्रंथ आउफ्रेक्ट वगेरेनी सूचिमां क्यांए दृष्टिगोचर थतां नथी. मुनिचंद्रसूरिकृत अने माथुर पं. गदाधर कृत टीकाओनां नामो पण बीजे क्यांए जडतां नथी. नैषधकाव्यना कर्ताना समय परत्वे विद्वानोमां जे घणा लांबा समयथी मतभेद चाल्यो आव्यो छे तेनो निकाल, कदाचित् आ टीकाओ उपलब्ध थवाथी थइ शके. बीजां काव्योमां, वाल्मिकी (कायस्थ) पं. केशवादित्यरचित कृष्णक्रीडित ( नं. ९५ ) नुं नाम पण नवुं ज छे. नं. १०० मां प्राकृत भाषाना पांच महाकाव्योनुं सूचन छे पण लेखके मात्र वाक्पतिराजना गौडवध काव्य सिवाय बीजांनां नामो आप्या नथी तेथी ए जिज्ञासा तो अपूर्ण ज रहे छे के गौडवध जेवां बीजां प्राकृतना ४ महाकाव्यो कयां हशे . पण आथी एटलुं समजाय छे के संस्कृतना जेम पंच महाकाव्य पठन-पाठनमां सुप्रसिद्ध छे तेम प्राकृतना पण तेवा पांच काव्य ए वखते प्रचारमां हशे ओसवाल गच्छीय पं. देवचंद्रकृत महिमांकमहाकाव्य (नं. १०१) नुं नाम पण बीजे ठेकाणे जोवामां आव्युं नथी. नाटक साहित्यमां नं. १०५ अने १०६मां नोंधेल काकुस्थ केलिनाटक ( मलधारी नरेन्द्रप्रभसूरि विरचित) अने उल्लाघराघव पण हजी जाण्यामां नथी. छेल्लानो For Private and Personal Use Only
SR No.525297
Book TitleShrutsagar 2015 01 02 Volume 01 08 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2015
Total Pages82
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size7 MB
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