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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 37 श्रुतसागर नवम्बर-२०१४ ॐ ह्रीं श्रीनन्दीश्वरे(नन्दीश्वरद्वीपे) [उत्तरदिग्गत दधिमुखचतुष्के [श्री] जिनबिम्बेभ्यः पुष्पं यजामीति स्वाहा ॥३॥ रत्न-सौ(सो)म-सर्पिषादि(?)दीपकैः कृतोज्ज्वलैतिघाततोप(घातजात)कोपकम्परूपवर्जितैः। दधीमुखे चतुष्कके जिनेन्द्रपादपङ्कजे, प्रपूजयामि नन्दिनाम्नि सौख्यधाम्नि चाऽष्टमे ।।४।। ॐ ह्रीं श्रीनन्दीश्वरे(नन्दीश्वरद्वीपे) [उत्तरदिग्गतादधिमुखचतुष्के [श्री जिनबिम्बेभ्यो दीपं यजामीति स्वाहा ॥४॥ सिलि(ह्र)का-ऽसिताऽगुरु-द्रधूपकैरलंश्रितैनिमानवर्द्धमानमानिनीमनोहरैः(?)। दधीमुखे चतुष्कके जिनेन्द्रपादपङ्कजे, प्रपूजयामि नन्दिनाम्नि सौख्यधाम्नि चाऽष्टमे ॥५॥ ॐ ह्रीं श्रीनन्दीश्वरे(नन्दीश्वरद्वीपे) [उत्तरदिग्गत]दधिमुखचतुष्के [श्री जिनबिम्बेभ्यो धूपं यजामीति स्वाहा ।।५।। औषधेन-सिन्धुफेन-हारभासमुज्ज्वलै रक्षतैः सुलक्षितैरजौत(घ)-खण्डवर्जितैः। दधीमुखे चतुष्कके जिनेन्द्रपादपङ्कजे, प्रपूजयामि नन्दिनाम्नि सौख्यधाम्नि चाऽष्टमे ॥६॥ ॐ ह्रीं श्रीनन्दीश्वरे(नन्दीश्वरद्वीपे) [उत्तरदिग्गत दधिमुखचतुष्के |श्री] जिनबिम्बेभ्योऽक्षतं यजामीति स्वाहा ।।६।। श्रीफला-ऽऽम्र-कर्कटी-सुदाडिमादिभिः फलैवर्णमिष्टसौरभादि(रिष्टवर्ण-सौरभेण) चक्षुरादिमोदनैः। दधीमुखे चतुष्कके जिनेन्द्रपादपङ्कजे, प्रपूजयामि नन्दिनाम्नि सौख्यधाम्नि चाऽष्टमे ।।७।। ॐ ह्रीं श्रीनन्दीश्वरे(नन्दीश्वरद्वीपे) [उत्तरदिग्गतादधिमुखचतुष्के |श्री] जिनबिम्बेभ्यः(भ्यो) फलं यजामीति स्वाहा ॥७॥ For Private and Personal Use Only
SR No.525295
Book TitleShrutsagar 2014 11 Volume 01 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2014
Total Pages84
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size7 MB
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