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एक भावपूर्ण उद्बोधन
परमाराध्यषाद, राष्ट्रसंत पू. गुरूदेवश्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म. सा. नी पुनित निश्रामां सम्राट संप्रति संग्रहालयना नूतन भवननी खननविधि प्रसंगे पद्मश्री कुमारपाळभाई द्वारा अपायेल वक्तव्यने अहीं शब्दोमां आप सहुना वाचनार्थे उतार्यु छे. संपा.
पद्मश्री डॉ. कुमारपाळ देसाई
आजनो दिवस ए एवो विरल ऐतिहासिक दिवस छे के जेमां भूतकाळना इतिहास साथै भविष्यकाळनुं दर्शन थाय छे. वर्तमान समयमां म्युझियमनो एटलो बधो महिमा छे के विदेशमा घणीवार कोई शहेर के गामनी मुलाकात लेवा जनार ए म्युझियमने जोवा अचूक जाय छे अने केटलाक शहेरनी तो ओळख एनुं म्युझियम होय छे.
आजे आ खननविधि प्रसंगे आ पवित्र भूमिमां साधना, सरळता, आराधना, सामर्थ्य अने सद्भाव ए पाँच भावनाओनो अनुपम संगम सधायो छे योगनिष्ठ आचार्य श्री बुद्धिसागरसूरीश्वरजीनुं आ शताब्दी वर्ष आजे आपणने एमनी साधनानुं स्मरण करावे छे. वीजापुरमा मात्र छ धोरणनो अभ्यास करनार योगनिष्ठ आचार्यश्री बुद्धिसागरसूरीश्वरजीए अनेक विषयो आलेखतां एकसो त्रीस जेटलां यशस्वी पुस्तकोनुं सर्जन कर्तुं . एमना जीवनमां ज्ञानमार्ग, कर्ममार्ग अने योगमार्गनी पराकाष्ठा जोवा मळे छे.
सरळता ए माटे के आजे श्री कोबा तीर्थमां गच्छाधिपति आचार्यश्री कैलाससागरसूरीश्वरजीनुं स्मरण थाय छे. आचार्य श्री कैलाससागरसूरीश्वरजीए एमना परम विनयी शिष्य ज्ञानसागरजीने गळानुं केन्सर थतां गुरुए करेली शिष्यनी सेवानो एक अनुपम आलेख आप्यो हतो. तेओ नानां बाळकोने 'जी' कही आदरपूर्वक बोलावतां हता. पोतानी पासे इन्डिपेन, लेटरपेड के घडियाळ राखता नहीं अने कपडांनी एक ज जोडी राखता. मुनि स्थूलिभद्रनी याद आपे एवो एमनो नेत्रोनो संयम हतो अने आ संकुलनी विशेषता ए छे के अहीं सर्वत्र आचार्य कैलाससागरसूरीश्वरजीनुं नामाभिधान जोवा मळे छे अने ए दृष्टिए परम पूज्य राष्ट्रसंत पूज्यश्री पद्मसागरसूरीश्वरजी महाराजनी अगाध गुरुभक्तिना पावन दर्शन थाय छे.
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