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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुतसागर 27 जून - २०१४ भगवंतोनी जिनशासनना चरणे भेट धरी छे. परमात्मा श्री लोढण पार्श्वनाथनी पवित्रभूमि, प.पू. मुनिचन्द्रसूरिजी जन्मभूमि. महात्मा वस्तुपाल-तेजपाल अने पेथडशाहनी धर्मभूमि, महोपाध्याय श्रीमद् यशोविजयजीनी अंतिमभूमि अने शताधिक साधु-साध्वीजनोनी मातृभूमि एवी दर्भावती नगरी प्राचीन काळथी जैन प्रवृत्तिओ, केन्द्र छे. आजे पण अनेक जिनालयो, उपाश्रयो, धर्मशाळा, भोजनशाळा, आयंबिलशाळा, ज्ञानभंडारो आदिथी आ शहेर अलंकृत अने अविस्मरणीय छे. तेमज अहींनो हीराभागोळनो किल्लो ऐतिहासिक महत्त्व धरावे छे जे आ नगरना घरेणा समान छे. संपर्क शेठ देवचंद धरमचंदनी पेढी, शामळाजीनी शेरी, श्रीमाळी वगो, डभोई पीन ३९११०१ जि .वडोदरा, गुजरात संदर्भ साहित्य (१) पू.आ. राजरत्नविजयजी म.सा.दिव्यधाम दर्भावती, वडोदरा, श्री विजयदेवसूरि जैन संघ, पृ.३९. (२) दर्भावती श्री लोढण पार्श्वनाथ प्रभुजीनो ईतिहास डभोई, विजयसभा जैन ज्ञानमंदिर. (३) मुनि श्री न्यायविजयजी (त्रिपुटी) जैन तीर्थोनो ईतिहास, दर्भावति (डभोई) पृ. २३३-६ अमदावाद, श्री चारित्र स्मारक ग्रंथमाळा, पृ. ५७३ ई.स. १९४९. (४) शेठ आणंदजी कल्याणजी, जैन तीर्थ सर्वसंग्रह भा. १ लो (खंड पहेलो) डभोई पृ. २०-२१ अमदावाद प्रकाशक, पृ. ३०१, ई.स. १९५३. (५) श्री मुक्तिवल्लभ विजय म.सा. श्री लोढण पार्श्वनाथ पृ. ४५-४६ श्री १०८ पार्श्वनाथ तीर्थ दर्शन भा. १ नासिक, श्री १०८ पार्श्वनाथ तीर्थदर्शन प्रकाशन समिति, वि.सं. २०५९ (६) शिलालेखोमां दर्भावतीनो दुर्ग, परीख रमेशकांत, दर्भावती आर्टस कॉलेज, डभोईनु मुखपत्र अंक २. १९५९-६० पृ.११५. For Private and Personal Use Only
SR No.525290
Book TitleShrutsagar 2014 07 Volume 01 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanubhai L Shah
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2014
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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