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अज्ञात कर्तृक श्री वस्तुपाल-तेजपाल संबंध छंद
मुनिश्री सुयशचंद्रवि.
परम श्राद्ध, धर्मनिष्ठ सचिवेश्वर वस्तुपाल तेजपाल संबंधी एक लघु अप्रकाशित कृति अत्रे प्रकाशित करी छे. छंद बंधमां रचायेली आ कृति कुल चौद कडीमां रचायेली छे. कृति नानी होवा छतां वस्तुपाल - तेजपाल संबंधी होवाथी ध्यानार्ह छे. वस्तुपाल - तेजपाले करावेला जिनालयो, सुकृतो अने ए बाबतनी विगतो आ लघुकृतिमां मुख्य स्थान भोगवे छे.
कीर्तिकौमुदी, वसंतविलास, शकुनिकाविहारप्रशस्ति, धर्माभ्युदयमहाकाव्य, सुकृतकीर्त्तिकल्लोलिनी, प्रबंधकोश, वसंतविलास, वस्तुपालचरित्र, आबुरास, सुकृतसंकीर्तन विगेरे ग्रंथोथी वस्तुपाल - तेजपालना जीवन बाबते अने एमना सुकृतोने जाणी शकाय छे. उपरोक्त साहित्यमा एमना सुकृतो अने जीवन बाबतनी सुंदर रीते प्रस्तुति थवा पानी छे. प्रायः करीने एमांथी घणा ग्रंथोना जनसामान्यनी उपादेयता माटे गुजराती, हिंदी विगेरे भाषाओमा अनुवाद पण प्रकाशित बनवा पाम्या छे.
वस्तुपाल - तेजपालना सुकृतोनी नोंध आपता 'वस्तुपाल-तेजपालनी कीर्त्तनात्मक प्रवृत्तिओ ए लेखमां श्री ढांकी साहेब लखे छे के....: एमणे निर्माण करावेल प्रासादो अने प्रतिमाओ वापीओ अने जलाशयो, प्राकारो अने प्रकीर्ण रचनाओनी संपूर्ण यादी स्तब्ध करे एवी विस्तृत अने विगतपूर्ण छे. सम्राटो पण सविस्मय लज्जित बन्या हशे एटली विशाळ संख्यामां वास्तु अने शिल्पनी रचनाओ आ महान् बंधुओ द्वारा थयेली छे :
वस्तुपाल-तेजपालना सुकृतोनी अनुमोदना ए प्रस्तुत कृतिनो मुख्य विषय छे. कृतिनी आदिमां आबूतीर्थ, आदिश्वर भगवान अने गुरुतत्त्वने प्रणाम करीने कृतिनो प्रारंभ करे छे. वस्तुपाल तेजपालना जीवन संबंधी खास कोई विगतोने समावेश न करतां एमना सुकृतो अने धर्मकार्योनी नोंध ए प्रस्तुत रचनानुं हार्द जणाय छे. प्रस्तुत कृतिमां आबूतीर्थ, शत्रुंजयतीर्थ, अने गिरनारतीर्थमां करावेला सुकृतोने प्रधानपणे स्थान आपवामां आव्युं छे.
कवि विविध ग्रंथांना आधारे के ते समये परंपराथी प्राप्त माहितीना आधारे प्रस्तुत कृतिमां वस्तुपाल - तेजपाले धर्मकार्यो पाछळ करेला सद्व्ययनी आंकडाकीय विगतोने ज प्रधानपणे स्थान आप्युं छे. (आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिरमां प्रत नं. ४५४५२, ३८६४०, ३१४५३, ३६१७३ विगेरे प्रतोमां आ प्रकारनी आंकडाकीय
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