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माहिती आपती गद्यात्मक बे-त्रण कृतिओ उपलब्ध छे. एमांथी ४५४५२ नं. नी प्रत धनेश्वरसूरिकृत वस्तुपालचरित्रना आधारे लखायेली छे. ए सिवायनी कृतिओमां आ प्रकारनो कोई खास संकेत जणायो नथी. पण संभव छे के चरित्र ग्रंथो, कथानको अने चाली आवती परंपराना आधारे ज आ प्रकारनी कृतिओनुं निर्माण थयुं हशे . जे कोई विद्वान आ कृतिओ उपर कार्य करवा मांगता होय एमणे ज्ञानमंदिरनो संपर्क करवा भलामण छे. - संपादक)
कृतिना अंते कर्तानुं नाम न होवाथी अने प्रतना अंते पण कोई प्रतिलेखन पुष्पिका के गुरुपरंपरानो उल्लेख न होवाथी आ कृतिना कर्ता विशे स्पष्ट रीते कहेतुं मुश्केल छे. कृतिनी भाषा अने रचना जोता कविनो समय लगभग १८ मी उत्तरार्ध अने १९ मी पूर्वार्ध होई शके छे. कविनुं राजस्थान बाजुनुं विचरण अने अने ए प्रदेशनी बोलीनो प्रभाव कृति वाचनमां अनुभवाय छे.
अज्ञात कर्तृक
श्री वस्तुपाल- तेजपाल संबंध छंद
मई २०१४
प्रस्तुत कृतिनी हस्तप्रत नेमि विज्ञान कस्तूरसूरि ज्ञानमंदिर सूरतनी छे. कृति संपादनार्थे प्रत आपदा बदल व्यवस्थापकश्रीनो खूब खूब आभार....
श्रीगुरुने चरणे नमी, आबूगढ प्रणमूं मनरली ।
आद (दि) नाथ प्रणमुं मनरंग, विमल साये करायो उत्तंग || १ |।
श्रीधर्मघोष उपदेश सुणी, प्रसाद कराव्यों मनरूली । थापी प्रतिमा श्रीआदिनाथ, भविजन पूजे श्रीजगनाथ ||२||
वस्तुपालें देहरु तिहां कयूँ, तेजपालने तेह ज गम्यूं । वीरवचननो रागी तेह, जेहनि (नी) करणी जिनमतें एह ||३||
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अढार कोडयने छन्नुलाख, सेतुंजे धन खरच्यानी साख्य । अढारकोडि लख इसी द्वार, द्रव्य खरच्यों तेणे गढ गिरनार || ४ ||
तेर सहस्स तेर नवा प्रसाद, धज तोरण ज्यां घंटानाद । वीस सहेंस जीरण उद्धार, सवा लाखने बिंब सू सार ।।५।।
सोले ओगणी एक हज्जार, पोषधसाला कीद्धी सार । अढाइ कोडी सार भंडार, सुरीपदमहोछव कीधा बार | १६ ||
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