SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 42
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ४० www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मार्च-अप्रैल २०१४ - खोदकर बायें से दायें लिखी जाती थी । विदित हो कि ब्राह्मी से निःस्रित शारदा, नागरी, मैथिल, ग्रंथ आदि समस्त लिपयाँ भी बायें से दायें ही लिखी जाती हैं, जो ब्राह्मी की परंपरा का ही अनुसरण करती हैं। संभवतः उस समय कागज, ताडपत्र, भूर्जपत्र, स्याही आदि लेखन-सामग्री का आविस्कार नहीं हुआ होगा, या हुआ भी होगा तो आज उसके साक्ष्य उपलब्ध नहीं हैं । अथवा दीर्घकाल पर्यन्त इन लेखों को चिरस्थाई बनाए रखने की दृष्टि से शिलाखण्ड ही सबसे उपयुक्त साधन रहे होंगे । अतः तत्कालीन बुद्धिजीवियों ने अन्य साधनों की अपेक्षा इन शिलाखण्डों, ताम्रपत्र- लोहपत्र आदि पर लिखने का निर्णय लिया होगा ! * ब्राह्मी लिपि में शिरो रेखा नहीं होती है, जो इसकी अपनी विशेषता है। विदित हो कि ग्रंथ एवं गुजराती आदि लिपियाँ भी शिरोरेखा के बिना ही लिखी जाती हैं। लेकिन शारदा, नागरी आदि लिपियों में शिरोरेखा का चलन है । • इस लिपि में अधिकांशतः समस्त उच्चारित ध्वनियों हेतु स्वतन्त्र एवं असन्दिग्ध चिह्न विद्यमन हैं । अतः इसे पूर्णतः वैज्ञानिक लिपि कहा जा सकता है। * अनुस्वार, अनुनासिक व विसर्ग हेतु स्वतन्त्र चिह्न प्रयुक्त हुए हैं जो आधुनिक लिपियों में भी यथावत स्वीकृत हैं । * व्याकरण-सम्मत उच्चारण स्थान के अनुसार वर्णों का ध्वन्यात्मक विभाजन है । * इस लिपि का प्रत्येक अक्षर एक ही ध्वनी का उच्चारण प्रकट करत है, जो समझने में सरल और पूर्णरूप से वैज्ञानिक है। * अक्षरों का आकार समान व श्लाका प्रविधि से अंकित करने का विधान मिलता है । For Private and Personal Use Only : अक्षरों की बनावट अत्यन्त सरल है । समस्त अक्षर सरल ज्यामितिक चिह्नों द्वारा निर्मित हैं। * मात्राओं के लिए अलग-अलग चिह्न प्रयुक्त हुए हैं, जो अक्षर के ऊपर या नीचे बायें अथवा दायें लगे हुए मिलते हैं। * दीर्घ मात्राओं का प्रयोग अत्यन्त अल्प हुआ है । इस लिपि में संयुक्त अक्षरों का प्रयोग बहुत कम हुआ है।
SR No.525288
Book TitleShrutsagar Ank 038 039
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2014
Total Pages84
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy