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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra - www.kobatirth.org श्रुतसागर ३८-३९ २७ धुलेवा नगर में लाई गई। आज भी इस प्रतिमाजी का पूजन-अर्चन होता है। इस सत्य को सत्यापित करता हुआ एक ऐतिहासिक शिलालेख यहाँ आज भी विद्यमान है। ऋषभदेवस्वामी का पुराना नाम 'खेडा' और 'धुलेवा' था। आज धुलेवा गाँव 'केशरियाजी' या 'ऋषभदेव' की संज्ञा से अभिहित है। चंदनपुरमहावीर एवं बाडा - पद्मप्रभु ( जयपुर ) की भाँति ऋषभदेवस्वामी की यह प्रतिमा धुलिया भील द्वारा अपनी गाय के दूध झरने के दृश्य को देखखर उसके स्वप्नानुसार भूगर्भ से प्रगट हुई है । धुलिया भील के नाम से यह गाँव 'धुलेव' कहलाता है, ऐसी जनश्रुति है । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कृष्णवर्ण होने से आदिवासी भील उसे 'कालाजी' या 'केशरिया बाबा' कहते हैं। कुछ लोग 'धुलेवाधणी' या 'केशरियालाल' के नाम से भी जयध्वनि करते हैं। भील, राजपूत और गरासिया ज्ञाति के ये कुलदेवता हैं। आज भी जिनालयों में सुबह शाम की आरती में घुलेवापति का नाम लिया जाता है। केशरिया तीर्थ के मूलनायक भगवान ऋषभदेव हैं। चतुर्थ कालीन श्याम वर्ण की, पद्मासन में, प्रशांतवदन, तीन फुट ऊँची, छत्र और भामंडल सहित वीतराग की प्राचीन प्रतिमा अतीव है । यह प्रतिमाजी एक फुट ऊँचे पावासण पर विराजमान है। उस पर १६ स्वप्न अंकित हैं । रचनाकाल : केशरियाजी चित्ताह्लादकता से एवं सभी दृष्टिकोण से विशेष महत्त्वपूर्ण हैं | जैन एवं जैनेतरों की श्रद्धा और आस्था का यह परम केन्द्र है। उस समय जैनों के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव - केशरीयाजी की कीर्ति चारों ओर फैली हुई थी । परमात्मा के अतिशय से प्रभावित होकर कवि ऋषभदासजी ने चौदह गाथामय, बारह मासबद्ध, सरल शब्दों में परमात्मा की स्तवना की है । कवि के परम आराध्यदेव रहे होंगे इसलिए उन्होंने ऋषभदेवरास (ढा. - ११८, क. १२७५) लिखा है। प्रत परिचय : प्रस्तुत् हस्तप्रत आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर (कोबा - गांधीनगर ) से प्राप्त हुई है। उसका नं. ५३४९० है । अक्षर सुलेख एवं सुवाच्य हैं। पत्र संख्या ३ है । प्रत की स्थिति मध्यम है । प्रत परिमाण २७ X १३.५ है । पत्र में १९ लाईन में १४ से १६ अक्षर लिखे गये है। प्रस्तुत् बारमासा काव्य के रचनाकाल के विषय में कोई उल्लेख नहीं है । For Private and Personal Use Only
SR No.525288
Book TitleShrutsagar Ank 038 039
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2014
Total Pages84
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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