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जून २०१३
ते करे. आज उद्देशथी व्रत ग्रहण करनार पण पर्वतिथिए के विशेष अवसरे व्रत टीपनुं वांचन करता होय छे. केटलीक व्रत टीपोमां आवा प्रकारना उल्लेखो पण जोवा मळे छे. आवी केटलीक व्रत टीप कृतिओ अहीं प्रकाशित करी छे.
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आकृतिओना प्रकाशनथी तत्कालीन सामाजिक व्यवस्था अने व्रतनी विशेषताओ उजागर थशे, तो पूर्वकालीन महापुरुषोना अभ्यंतर जीवन दर्शननुं चित्र वधारे स्पष्ट थशे. व्रत विषयक आवा प्रकारनी कृतिओना प्रकाशनथी साहित्यना एक नवा प्रकारनो अने नवा आयामनो लाभ विद्वद् समाजने मळ्या वगर नही रहे.
अत्रे प्रकाशित चारेय टीप कृतिमां बधु ज समजाई गयुं छे, तेवुं नथी ते कारणे पदच्छेद योग्य शब्दार्थ आदिमां भूल थई गई के रही गई होय ते बनवा जोग छे. जाणकारो तेने सुधारे अने ध्यान दोरे एज विनंती.
विशेषमां आ अंकमा पू. आचार्य श्री सोमचंद्रसूरिजी म. सा. पासेथी भरूचतीर्थनी प्रतिमाओना अप्रगट ९१ जेटला लेखो प्राप्त थया छे. जेमां शक संवत ९३० वर्षनी नागेंद्रकुलना विजयतुंगाचार्य गच्छना कोईक आचार्य भगवंत द्वारा प्रतिष्ठित प्रतिमानो लेख पण अहीं विशेष ध्यानार्ह छे. आ लेख अने प्रतिमाजीनो फोटो आ अंकना टाईटल पेज नं. २ उपर मूकवामां आव्यो छे. तो सम्राट् संप्रति संग्रहालयमां संग्रहित प्रतिमाना १८ लेखो अत्रे प्रकाशित कर्या छे. संग्रहालय प्रतिमा लेखोमां वि. सं. १२१५मां हीमक गामे थारा गच्छना कोईक आचार्य भगवंत द्वारा प्रतिष्ठित पार्श्वनाथ भगवाननी प्रतिमानो लेख पण ऐतिहासिक द्रष्टिए महत्त्व धरावे छे. आ प्रतिभा अने लेखनो फोटो टाईटल पेज नं. ३ उपर मूकवामां आव्यो छे.
वाचको पण पत्रिकाना एक अंग होय छे, वांचन द्वारा के विचार द्वारा. अभिप्राय अने लेखन द्वारा आपश्री पण आ पत्रिकामा लेख मोकलावी शको छो, योग्य अवसरे नामोल्लेख साथे आपश्रीनो लेख छपाशे.
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आ अंक सिवाय आवतो त्रीजो अंक (३२मो) पण आ व्रत विषयक कृतिओना समुच्चय रूपे प्रकाशित करवानी भावना छे. आपश्री पासे आवी व्रत टीप संबंधी कृति होय तो अवश्य अमने पाठवशो ए ज अभ्यर्थना सह...