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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संपादकीय ज्ञानमंदिरनी एक विशिष्ट फलश्रुति रूपे श्रुतसागर पत्रिका दर मासे प्रकाशित थई रही छे. केटलाक समयथी आ ज पत्रिकानो दर त्रीजो अंक विशिष्ट विषयना समुच्चय रूपे प्रकाशित थई रह्यो छे. आ ज उपक्रमनो पहेलो अंक मार्च-२०१३मां प्रकाशित थयो, जेमां सागरचंद्र रास, अरणिक रास, तेमज अन्य विशिष्ट लेखोनुं प्रकाशन थयु. आ अंक पण ए ज कुळनो बीजो अंक छे. आ अंकमां एक विषयानुसारी कृतिओनुं प्रकाशन करवामां आव्युं छे. पूर्वकालीन महापुरुषोए स्वीकारेल बार व्रत टीपनी कृतिओना समुच्चय रूपे आ अंक प्रकाशित कर्यो छे. आ अंक आपना हाथमां विशिष्ट श्रावक-श्राविकानी जीवन चेतनाने लईने आव्यो छे, तो श्रावकोए गुरुभगवंतनी प्रेरणाथी दृढप्रतिज्ञ थई ग्रहण करेल व्रत स्वीकारनो रोमांच अहीं जोवा मळे छे. श्रावकोना परिणाम अने एमनी व्रत पालननी निष्ठानो परिचय आ व्रतग्रहणनी कृतिओमांथी मळे छे. मापवानी वृत्तिथी सदंतर पर थई, पामवानी वृत्तिमां ज चित्तने परोवनार भव्यात्माओना परिणाम अने पुरूषार्थनी आ यशोगाथा छे. पूर्वकाळमां श्रावकोए स्वीकारेल व्रतोनी टीप ए आ अंकनो मुख्य विषय रह्यो छे, तो व्यवहार प्रधान जीवनमां व्रत ग्रहण द्वारा केंद्र स्थाने धर्म स्थापनानी वात ए आ व्रत टीपोनो मुख्य विषय रह्यो छे. व्रत ग्रहणना विषयनी साथे साथे प्राचीन परंपरागत जीवन प्रणालीनो मळतो बोध आ टीप कृतिओनुं महत्त्व- पासुं छे. व्रत टीपनी कुल ४ कृतिओ आ अंकमां प्रकाशित करी छे. आ व्रत टीपोनी विशेषता ए छे, के' आवा प्रकारनी कृतिओनी बीजी नकल मळवी मुश्केल होय छे, तेमज आ कृतिओ व्रत ग्रहण करनारनी हयातीना समयनी ज होवानी संभावना वधु छे, तेथी कृतिकार अने व्रत ग्रहण करनार श्रावक के श्राविकाना समयनी केटलीक विशेषतानो स्पष्ट परिचय पण मळी रहे छे. आ कृतिओनी रचना सामान्यथी व्रत ग्रहण करनार पोतानी स्मृत्ति माटे करता होय छे, के कोई गुरुभगवंत पासे आ प्रकारनी पद्यात्मक के गद्यात्मक नोंध बनावता होय छे. मूळमां आ कृतिनी रचना पाछळनो उद्देश तो एटलो ज होय छे, के व्रत ग्रहण करनार व्रत प्रत्येनी पोतानी जागृति अकबंध राखे अने बने एटली व्रतनी आराधना वधु सारी For Private and Personal Use Only
SR No.525279
Book TitleShrutsagar Ank 2013 06 029
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMukeshbhai N Shah and Others
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2013
Total Pages84
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size2 MB
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