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संग्रहालयमा प्रतिमालेखो
आजे आपणी परंपरा अने श्रमण संस्कृतिनो क्रमबद्ध इतिहास प्राप्त नथी, इतिहासना केलाय तत्त्वो ग्रंथ-भंडारो, ताम्रपत्रो, शिलालेखो, अने प्रतिमालेखोमां धरबायेला छे. आवी ऐतिहासिक साधन सामग्रीमा प्रतिमालेखो अग्रता क्रमे छे, प्रतिमा लेखो बे विभागमां मळे छे. १. पाषाण प्रतिमा लेखो २. धातु प्रतिमा लेखो, धातु प्रतिमानी अपेक्षाए पाषाण प्रतिमामां लेखो बहु ओछा प्राप्त थाय छे. प्रतिमा लेखोमां श्रमण परंपरा अने तत्कालीन श्रावकोना वंशादिनी नोंध प्राप्त थाय छे. श्रमण परंपराना इतिहासमां खूटती कडीओनुं अनुसंधान करवामां प्रतिमा लेखो बहु महत्त्वनो भाग भजवे छे.
पूज्यपाद् गुरुदेव श्रीमद् आचार्य श्रीपद्मसागरसूरीश्वरजी महाराजा प्रभु शासननी आवी ऐतिहासिक मूल्योनी काळजी अने जतन माटे सतत उद्यमशील अनेकांईक करी छूटवानी भावना धरावी, प्रभु शासननी शान अने गरिमाने हृष्ट पुष्ट करता रहे छे. पूज्य गुरुमहाराजना अथाग प्रयत्नथी विनिर्मित आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर अने सम्राट् संप्रति संग्रहालयमां आवी केटलीय ऐतिहासिक सामग्रीओ संकलित, संगृहीत अने सुरक्षित छे संग्रहालयमा रहेला धातु अने पाषाण प्रतिमाना लेखो अहीं प्रस्तुत छे. आ लेखो उतारी आपवानुं पुण्य- कार्य परम पूज्य शासनसम्राट् श्रीना समुदायना आचार्य भगवंत श्रीसोमचंद्रसूरीश्वरजी महाराज साहेब अने एमना शिष्य परिवारे करी आप्युं छे. संग्रहालयमां नोंधायेल क्रमानुसार ज प्रतिमाना लेखो प्रकाशित करीए छीए.
संपा.
धातु प्रतिमालेख
श्री शांतिनाथ, पंचतीर्थी - १
१. संवत् १५६१ वर्षे माघ वदि ८ सोमे श्री ब्रह्माणमच्छे श्रीश्रीमालज्ञा. श्रे. खेता भा. खेतलदे सु. पोपट भा. दूबी सु. लींबा भा. ललनादे सु. पद्मा युतेन स्वपूर्वजनमित्तं आत्मश्रेयोर्थं श्रीशांतिनाथचतुर्विंशतिपट्टः कारि. प्र. श्री बुद्धिसागरसूरिपट्टे श्रीविमलसूरिभिः द्या...
श्री पद्मप्रभस्वामी, चतुर्विंशति - ३ २. संवत् १४३८ वर्षे ज्येष्ट वदि ४ शनौ श्रीनाणकीयगच्छे
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...गोत्रजा भा.