________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
श्रुतसागर • २६ चीनी यात्रियों का ध्येय :
चीनी यात्रियों के प्रमुख ध्येय थे- तथागत भगवान बुद्ध की जन्मस्थली के दर्शन करके पवित्र-पावन होना। भगवान बुद्ध के उपदेश जिस भाषा में संगृहीत थे उस भाषा का अध्ययन करना | बौद्ध ग्रन्थों की प्रतिलिपि तैयार करके तथा मूल ग्रन्थों की पाण्डुलिपियों का संग्रह करके उन ग्रन्थों एवं बौद्ध प्रतिमा आदि जो भी धार्मिक सामग्री मिले उसे अपने साथ लेकर जाना । ___ इन वस्तुओं का संग्रह करके ले जाने का मूल उद्देश्य इन यात्रियों का अपने देशवासियों के लिए था। इनकी प्रसन्नता तो इस कार्य की सिद्धि में ही समाई हुई थी। परन्तु यह कार्य इतना सरल भी नहीं था। चीन से भारत तक चलकर आना जीवन-मरण का खेल था। धधकते रेतीले रास्ते, भयानक जंगल, पथरीले रास्ते और हिमाच्छादित दुर्गम गिरि-शिखरों को पार करना कोई साधारण काम नहीं था। भयानक जंगलों में बसने वाले हिंसक प्राणियों का सामना करने की हिम्मत और शक्ति जिसमें हो वही महात्मा इस दुर्गम सफर को तय करने का साहस जुटा सकता था। भारत आनेवाले ये चीनी यात्री ऐसे ही महात्मा थे। इनके पुरुषार्थ से संपूर्ण विश्व के इतिहास का वास्तविक गौरव बढ़ा है। ईसा की चौथी से सातवीं सदी के बीच ऐसे अनेक चीनी यात्री हिन्दुस्तान आये। इनमें से कितने ही यात्री इस भव्य साहस में अपने प्राणों की आहूति देकर धर्मवीरों के इतिहास में अपना नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित करा चुके हैं। जो प्रमुख विद्वान् भारत पहुँचे उनके विषय में कुछ महत्वपूर्ण जानकारियाँ निम्नोक्त हैं : फाहियान :
ई. सन् ३९९ में छह साथियों के साथ बौद्ध ग्रन्थ विनयपिटक की खोज में फाहियान भारत की यात्रा पर निकला। इसने चीन के चांगगान नामक स्थान से यात्रा आरम्भ की। निरन्तर प्रवास के बाद समुद्री एवं रेगिस्तानी दुर्गम रास्तों को पार करते हुए कठिन यात्रा पूरी कर यह मित्र-मण्डली पेशावर पहुँची। परन्तु यह मित्र-मण्डली प्राकृतिक प्रकोपों से अखण्डित न रह सकी। पेशावर पहुँचने से पहले ही इस दल का एक यात्री बर्फीले तूफान में मारा गया; तीन यात्री वापस चीन लौट गये। फाहियान और उसका एक साथी सहित छह में से सिर्फ ये दो लोग ही भारत तक पहुँचने में सफल हुए। फाहियान भयावह मरुस्थल यात्रा का वर्णन करते हुए लिखता है कि-मरुभूमि में भयंकर राक्षस फिरा करते हैं, गर्म हवा चलती है। वहाँ जाकर, उनसे कोई बचकर नहीं आता! न ऊपर कोई चिडिया उडती है और न नीचे कोई जीव-जन्तु ही दिखाई पडता है! आँख उठाकर जिधर
For Private and Personal Use Only