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मार्च - २०१३ आंखि बिहुं मांहि अंतर किसउ, उग्रसेन नैषध पणि तिसिउ, समझाव्या वाल्या तव सहू, सागरचंद आविउ लेई वहू. ८६ कमलामेला नारि सुजांण, सागरचंद पणि चतुर जूवाण, चडीती वय चडता संयोग, बेहू जण रंगि भोगवई भोग. ८७ मनोहरमुहलि बड़े मंदिरे, सूखविलसि षटरति बहु परे, कमलामेलाना संसारि, लाड-कोड पूगा निरधार. ८८ नमसेन सागरचंद निहालि, कोपइं त्रिसुल उचडावि भालि, वखत-वंत"सिउं केहुं जोर, धन किम अपहरि सघलूं चोर. ८९ निस-दिन छिद्र निहालि सोय, सागरचंदनि विरूउं२ होइं, घांच टलइ सोय पुण्यप्रमाण, पुण्यि दिनि-दिनि कोडि कल्याण. ९०
ढाल छठी।। राग केदारो।। सुदागर जानी चलणा न देसिउं इणि समई द्वारिकांनगरी ऊद्यानई, स्वामि समोसर्या पुण्यप्रधानइ. १ नेम पधार्या जिननेम पधार्या, जिणि निजदेसणि भविजन तार्या. २
(आंकणी) देव रचइ त्रिगढ तिहां सूंदर, बिठा त्रिभूवनसामी बंधुर. ३
नेम पधार्या जिन नेम...... पुरूषदबार जूडी तिणि वेला, नाग-मोर जिहां दीसइ भेला. ४
नेम पधार्या जिन नेम..... वनमाली वधामणी देवइं, हरख पसाय आपिउ सोई लेवई. ५
नेम पधार्या जिन नेम..... कृष्णराय वंदणि तव आविउ, चतुरंगदल परिवार सोहाविउ. ६
नेम पधार्या जिन नेम. सागरचंद रमई आवासई, निरखइं गुखइ पुर सुविलासइं. ७
नेम पधार्या जिन नेम... एक-मारग जाई नर-नारी, ऊछरंग आज दीसइं निरधारी. ८
नेम पधार्या जिन नेम.....
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