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એપ્રિલ ૨૦૧૨ दर्शकों एवं विद्वानों ने यहाँ की व्यवस्था की भूरी-भूरी प्रशंसा की है तथा सुचारु एवं चिरकाल तक हस्तप्रतों को संरक्षित करने की व्यवस्था से प्रभावित होकर अनेक जैन संघों ने अपने यहाँ बंद पड़े ज्ञानभंडार एवं कई लोगों ने अपने व्यक्तिगत संग्रहों को यहाँ पर भेंट में दिया है.
ज्ञानमंदिर के अन्तर्गत निम्नलिखित परियोजनाओं का कार्य प्रगति पर है: १. समग्र उपलब्ध जैन साहित्य की विस्तृत सूची तैयार करना. इसके तहत (क) समग्र हस्तलिखित जैन साहित्य का विस्तृत सूचीपत्र बनाना. (ख) समग्र मुद्रित जैन साहित्य का कोष बनाना.
(ग) प्राचीन अर्वाचीन जैन श्रमण व गृहस्थ विद्वानों की परम्परा व उनके व्यक्तित्व-कृतित्त्व की जानकारी को संग्रहीत करना.
(घ) अप्रकाशित जैन साहित्य का सूचीपत्र बनाना.
२. विद्वानों एवं संशोधकों की सुविधा हेतु पत्र-पत्रिकाओं के विशिष्ट लेखो आदि की विस्तृत सूची की प्रविष्टि, कृति विषयांकन, सचित्र पुस्तकों में मुद्रित चित्रों की विशिष्ट सूची आदि कार्य.
३. अप्रकाशित व अशुद्ध प्रकाशित जैन साहित्य को संशुद्ध बनाकर प्रकाशित करना.
४. प्राचीन जीर्ण-शीर्ण, क्षतिग्रस्त एवं संस्था में अनुपलब्ध दुर्लभ पाण्डुलिपियों, महत्त्वपूर्ण हस्तप्रतों एवं संस्था में अनुपलब्ध प्रकाशनों का जेरोक्स, माईक्रोफिल्मिंग तथा कम्प्यूटर स्कैनिंग आदि के माध्यम से संशोधन के लिए उपलब्ध कराना.
५. जैन हस्तप्रत व मुद्रित पुस्तकालय व्यवस्थापन, प्राचीन लिपि पठन-पाठन का शिक्षण तथा समय-समय पर कार्य-शिबिर, व्याख्यान आदि अनेकविध प्रवृत्तियाँ करना,
६. प्रकाशन :
(क) हस्तलिखित ग्रंथों की सूची प्रकाशन योजना के तहत कैलास श्रुतसागर ग्रंथसूची-हस्तलिखित जैन साहित्य खंड १२ तक का प्रकाशन हो गया है, इसी प्रकार क्रमशः ५० से अधिक खंडों में हस्तप्रतों से संबद्ध अलग-अलग प्रकार की सूचियाँ प्रकाशित करने हेतु कार्य जारी है.
(ख) आचार्य श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी के प्रवचन व अन्य उपयोगी साहित्यों का प्रकाशन समय-समय पर किया जा रहा है.
(ग) आचार्य श्री भद्रगुप्तसूरिजी (प्रियदर्शन) के श्रेष्ठ साहित्य को शुद्धतापूर्वक पुनः प्रकाशन करने की शृंखला में अभी तक २७ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं तथा निकट भविष्य में अन्य पुस्तके भी प्रकाशित करने का आयोजन किया जा रहा है. अहमदाबाद नगर में ज्ञानमन्दिर की शाखा :
अहमदाबाद के जैन बहुल क्षेत्र पालड़ी में आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमन्दिर की कम्प्यूटर सेवा से सुसज्ज शाखा में स्थानीय वाचकों की सुविधा हेतु कोबा स्थित ज्ञानमंदिर की सभी सूचनाएँ सुगमता से प्राप्त होती हैं. यहाँ से पुस्तकों के आदान-प्रदान तथा जनसंपर्क का कार्य भी होता है, सम्राट सम्प्रति संग्रहालय :
प्राचीन भारतीय पुरातात्त्विक व सांस्कृतिक महत्त्व के शिल्पांकनों एवं अन्य दर्शनीय विरासतों का संग्रह. यह संग्रहालय ज्ञानमंदिर में प्रथम तल पर अवस्थित है. पुरातत्त्व-अध्येताओं तथा जिज्ञासु दर्शकों के लिए प्राचीन भारतीय शिल्प व कला परम्परा के गौरवमय दर्शन इस स्थल पर होते हैं. पाषाण व धातु मूर्तियों, ताड़पत्र व
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