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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १५ वि.सं.२०७८-थैत्र अनुसंधान की इस सामग्री को इतना अधिक समृद्ध किया जा रहा है कि कोई भी जिज्ञासु यहाँ आकर जैनधर्म व भारतीय प्राच्यविद्या से सम्बन्धित अपनी जिज्ञासा अवश्य पूर्ण कर सके. आर्यरक्षितसूरि शोधसागर : ज्ञानमंदिर में संगृहीत हस्तलिखित ग्रंथों तथा मुद्रित पुस्तकों की व्यवस्था करना एक बहुत ही जटिल कार्य है. लेकिन वाचकों को वांछित ग्रंथ सरलता से उपलब्ध हो सके इसके लिये कम्प्यूटर आधारित बहुउद्देशीय श्रुत अनुसंधान केन्द्र, ज्ञानमंदिर के द्वितीय तल पर कार्यरत है. ग्रंथालय सेवा में कम्प्यूटर का महत्त्व वर्तमान समय में अत्यंत आवश्यक हो गया है. हस्तलिखित व मुद्रित ग्रंथों, पत्र-पत्रिकाओं उनमें समाविष्ट कृतियों का विशद् सूचीपत्र एवं विस्तृत सूचनाएँ अपने आपमें अनोखी पद्धति से विश्व में प्रथम बार कम्प्यूटराइज़ की जा रही है. इसके परिणाम स्वरूप प्रकाशन, कृति, कर्ता, संपादक, प्रकाशक, प्रकाशन वर्ष, ग्रंथमाला, कृति के आदि व अंतिम वाक्यों, रचना स्थल, रचना वर्ष आदि से संबद्ध किसी की भी कम से कम दो अक्षरों की जानकारी होने पर इनसे परस्पर संबद्ध अन्य विवरणों की विस्तृत सूचनाएँ बहुत ही सुगमता से उपलब्ध होते देख विद्वद्वर्ग आश्चर्यचकित रह जाते हैं. विद्वानों एवं संशोधकों की सुविधा हेतु पत्र-पत्रिकाओं के विशिष्ट लेखों आदि की विस्तृत सूची की प्रविष्टि की जा रही है. कृति विषयांकन, सचित्र पुस्तकों में रहे चित्रों की विशिष्ट सूची आदि कार्यों की योजनाएँ बनाई गयी हैं. इस कार्य के पूर्ण हो जाने से विद्वानों को उनकी वांछित सामग्री शीघ्रता से प्राप्त करने में काफी सहयोग मिलेगा. प्राचीन महत्त्वपूर्ण ग्रंथों को स्कैनिंग कर डीवीडी तैयार करने का कार्य भी चल रहा है, ताकि आने वाली पीढ़ी को भी उन ग्रंथों के अध्ययन-मनन का लाभ प्राप्त हो सके. वाचक सेवा : इस ज्ञानभंडार की मुख्य विशेषता यह है कि जो कहीं न मिले वैसी दुर्लभ पुस्तकें भी सहजता पूर्वक प्राप्त हो जाती है. अध्ययन स्वाध्याय के लिये उपयोगी अधिकांश पुस्तकों की अनेक प्रतियाँ यहाँ से वाचकों को उपलब्ध कराई जाती हैं. इस ज्ञानभंडार में स्वविकसित कम्प्यूटर प्रोग्राम की विशेषता यह है कि इसके द्वारा पुस्तकों की ऐसी सूक्ष्मतम सूचनाएँ प्रविष्ट की जाती हैं कि वाचक के पास यदि थोड़ी सी भी जानकारी हो तो उनकी वांछित पुस्तक शीघ्र उपलब्ध करा दी जाती है. इससे वाचकों का समय बचता है. श्रुत अनुसंधान के लिये पुरानी एवं नवीन महत्त्वपूर्ण पत्रिकाओं के उपयोगी लेखों की सूचनाएँ भरने का कार्य चल रहा है, जो संशोधकों के लिये विशेष उपयोगी सिद्ध हो रही है. कृति विषयांकन जैसे की-वर्ड, की-सेन्टेंशिंग, पुस्तकगत विशिष्ट शब्दों की सूची आदि प्रविष्ट करने का कार्य भी शीघ्र ही प्रारम्भ किया जाएगा. इस प्रकार के विलक्षण कार्यों से वाचकों की सेवा में उल्लेखनीय सुधार होगा. इन महत्त्वपूर्ण व विशिष्ट कार्यों के पूर्ण होने से वाचकों को अपने आवश्यक विषयों के अतिरिक्त अन्य पुस्तकों को देखने की जरुरत नहीं पड़ेगी तथा उनकी आवश्यकता की पुस्तकें शीघ्रता पूर्वक उपलब्ध कराई जा सकेगी. जैन शिल्प स्थापत्य की सरलता से पहचान की जा सके तथा अन्य उपयोगी चित्रों की सूचनाएँ शीघ्रता से प्राप्त की जा सके इसलिये चित्र पेटांक प्रोजेक्ट का कार्य प्रारम्भ करने की योजना है. इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत ग्रंथों में उपलब्ध चित्रों की माहिती विषयांकन पद्धति से भरी जाएगी, जिससे किसी भी तीर्थस्थान, भगवान के चित्र, जैन . स्थापत्य आदि की जानकारी क्षणभर में उपलब्ध कराई जा सकेगी. यह ज्ञानभंडार कम्प्यूटर जैसे आधुनिक संसाधनों से सुसज्ज होने से वाचकों को अपेक्षित सामग्री उपलब्ध करवाने में शीघ्रता पूर्वक सेवा दे रहा है. जो ग्रन्थ कहीं भी न मिले वह कोबा के भंडार में अवश्य ही मिलेगा, ऐसी धारणा आज कोबा भंडार की विशिष्टता बन चुकी है. आने वाले वाचकों के द्वारा मांगी गई पुस्तक अल्पावधि में ही थोड़ी औपचारिकता के पश्चात् उन्हें मिल जाती है. ऐसी सुविधा भाग्य से ही कहीं अन्यत्र देखने को मिले. ऐसी एवं इस प्रकार की अनेक विशेषताएँ इस आचार्यश्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर, कोबा के विषय में लोकप्रचलित For Private and Personal Use Only
SR No.525265
Book TitleShrutsagar Ank 2012 04 015
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMukeshbhai N Shah and Others
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2012
Total Pages28
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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