SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 14
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ૧૨ એપ્રિલ ૨૦૧૨ गोडीजी का अद्वितीय एवं आलीशान उपाश्रय ... मुंबई महानगर में प्रभु भक्ति के लिए गोडीजी मंदिर जिस प्रकार विख्यात है, उसी प्रकार सामायिक, प्रतिक्रमण, पौषध, व्याख्यान श्रवण आदि धार्मिक क्रियाओं के लिये गोडीजी उपाश्रय का स्थान सर्वोपरि है. यहाँ के उपाश्रय में प्रातः चार बजे से रात्रि के ग्यारह बजे तक अनेक श्रावक-श्राविका सामायिक आदि धार्मिक क्रियाएँ करते रहते हैं. संपूर्ण भारत में यह उपाश्रय अद्वितीय है. यहाँ लगभग तीन हजार व्यक्ति एक साथ बैठ सके, ऐसी व्यवस्था की गई है. पूज्य साधु-साध्वीजी भगवंतों की साधना आराधना में सहयोगी यहाँ का उपाश्रय भव्य एवं विशाल है. . गोडीजी तीर्थ पर संचालित नींव के पत्थर जैसे अन्य कार्य और द्विशताब्दी महोत्सव गोडीजी मंदिर में भक्तियोग, तपयोग के साथ ज्ञानयोग की भी सुंदर व्यवस्था है. अन्य समाजोपयोगी एवं जनकल्याणकारी कार्यों के लिये भी गोडीजी तीर्थ प्रसिद्ध है. यहाँ का ज्ञानभंडार, शिक्षण संस्थान आदि समाज सेवा में सदैव तत्पर हैं. ___आज भव्य मंदिर का द्विशताब्दी महामहोत्सव मुंबई का चतुर्विध संघ अति हर्षोल्लासपूर्वक मना रहा है. यही कामना है कि श्री गोडी पार्श्वनाथजी की अनुपम कृपा इस महान नगरी और उसकी धर्म परायण जनसमुदाय पर सदैव बनी रहे तथा ज्ञान-धर्म एवं तप का यह पावन केन्द्र सदैव मानवसमाज को आध्यात्मिक राह दिखलाता रहे. गोडीजी महाराज जैन टेम्पल एन्ड चेरिटीज, पायधुनी की पवित्र धर्मभूमि की गौरवगाथा के संबंध में जितना लिखा जाए उतना ही कम प्रतीत होता है. संक्षेप में कहा जाए तो इतना ही कहा जा सकता है कि गोडीजी पार्श्वनाथ भगवान का अद्भुत प्रभाव, प्रभावक गुरु भगवंतों की शुभ सन्निधि तथा दो सौ वर्षों से इस धर्मस्थान की सेवा में लीन धर्मपरायण एवं प्रामाणिक ट्रस्टीगण की लगन पूर्वक तन-मन-धन से सेवा करने के कारण इस मंदिर का स्थान भारतभर के मंदिरों में सुप्रसिद्ध एवं अग्रगण्य है. अज्ञानतावश कोई भूल हुई हो तो त्रिविध मिच्छामि दुक्कड़! પ્રાચીન દેવનાગરી લિપિના અધ્યયન વર્ગો આચાર્ય શ્રી કૈલાસસાગરસૂરિ જ્ઞાનમંદિરની શાખા સીટી સેંટર પાલડી - અમદાવાદ ખાતે શ્રી નવીનચંદ્ર જગાભાઇ શાહ પરિવારના શુભ-સહયોગે જાન્યુઆરી માસથી દર રવિવારે સવારે ૧૧:૩૦ થી ૧૨:૩૦ કલાકે પ્રાચીન દેવનાગરી લિપિના અધ્યયન વર્ગનો પ્રારંભ થયો છે. અધ્યયન વર્ગમાં ૨૦ જેટલાં ભાઇ-બહેનો આ શ્રતયજ્ઞમાં જોડાયા છે. આ વર્ગમાં જોડાયેલ અધ્યેતાઓને લિપિ વિજ્ઞ ડૉ. ઉત્તમસિંહજી લિપિ સંબંધી જ્ઞાનનું પ્રદાન કરી રહ્યા છે. સંસ્થાના વરિષ્ઠ સલાહકાર શ્રી બી. વિજય જેના દ્વારા પ્રાચીન દેવનાગરી લિપિના અધ્યયન ! વર્ગોનું સુંદર આયોજન તેમજ સંચાલન થઈ રહ્યું છે. જેમને પણ આ અધ્યયન વર્ગમાં જોડાવાની ભાવના હોય તેમને શ્રી મહાવીર જૈન આરાધના કેંદ્ર-કોબા તેમજ આચાર્ય શ્રી કૈલાસસાગર સૂરિ જ્ઞાનમંદિર શહેર શાખાનાં રૂબરૂ સંપર્ક કરવો. For Private and Personal Use Only
SR No.525265
Book TitleShrutsagar Ank 2012 04 015
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMukeshbhai N Shah and Others
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2012
Total Pages28
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy