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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir વિ.સં.ર૦૧૮-ચૈત્ર ૧૧ में मूलनायक गोडीजी पार्श्वनाथ प्रभु की लगभग २५ ईंच की महाप्रभावक पाषाण प्रतिमा बिराजमान है. यह प्रतिमा अति प्राचीन है. यहाँ दर्शन-पूजन करने वाले महानुभावों के हृदय में भावोल्लास जागृत करने वाले अनेक उत्कृष्ट साधन उपलब्ध हैं, जो मन को पूर्ण धार्मिक व आध्यात्मिक वातावरण में प्रवेश कराए बिना नहीं रहते. प्रथम दृष्टि में प्रभु दर्शन जहाँ अध्यात्मरूपी गहन आकाश का भक्त की हृदयरूपी भव्यभूमि से मिलन होता है, वह मनोहरतम गगन सदृश गोडीजी पार्श्व प्रभु हैं ! इस प्रभु की शरण में आते ही भक्त के मन की उद्विग्नता रूपी आदित्य अस्त हो जाता है और भक्त का हृदय विविध सुंदरतम भावरूपी रंगों के वैविध्य से सुसज्ज होकर मनोहर मेघधनुष तुल्य बन जाता है. संध्याकाल में आकाश अपना श्वेत रंग खोकर शनैः शनैः पीत वर्ण में परिवर्तित होता हुआ भक्त के कान में एक मनोहर संदेश देता नजर आता है और कहता है, “ऐसे ही तो हैं, अपना श्वेत रंग खोकर पीत वर्ण धारण करते हुए हमारे गर्वीले गोडीजी पार्श्वनाथ प्रभु! अपने परिकर रूपी तारों से घिरा होने पर ही चंद्र अति सुंदर लगता है, शोभायमान प्रतीत होता है, परंतु रविबिंब को अपनी शोभा के लिये किसी परिकर की आवश्यकता ही नहीं पड़ती.' देख लीजिये परिकर रहित ये विश्वसूर्य प्रभु श्रीगोडीजी पार्श्व की प्रतिमा कितनी मनोहर जान पड़ती है. प्रभु के दर्शन मात्र से भक्त हृदय में अलौकिक आह्लाद का भाव उत्पन्न होता है और भक्ति की गंगा में डुबकी लगाते हुए अपने कर्ममलों को धो डालने में समर्थ होता है. गोडीजी महाराज का अद्भुत प्रभाव जैनधर्म के चौबीस तीर्थंकरों में प्रभु श्री पार्श्वनाथ की महिमा अपरंपार है. भारतवर्ष में सबसे अधिक मंदिर और प्रतिमाएँ पार्श्वनाथ भगवान की मिलती है. सभी तीर्थकर परमात्मा समान पूजनीय हैं तथापि ऐसा देखने में आता है कि भगवान श्री पार्श्वनाथ प्रभु की आराधना सबसे अधिक की जाती है. इस कलिकाल में कल्पवृक्ष की तरह पार्श्वनाथ की आराधना-साधना शीघ्र फलदायी होती है. अनेक ऐसे उदाहरण शास्त्रों में प्राप्त होते हैं, जिनमें वर्णन मिलता है कि संकट काल हो या कोई उपद्रव उपस्थित हुआ हो तब श्री पार्श्वनाथ प्रभु की आराधना तुरंत फलदायी सिद्ध होती है, सारी विपत्तियाँ दूर हो जाती हैं एवं आराधक आत्माओं की कामना पूर्ण होती है. श्री पार्श्वनाथ प्रभु के शासनदेव इस दुषमकाल में भी जागृत हैं, भक्तों की शुभ भावना देखकर वे सदा भक्तजन की सहायता करते रहते हैं. हमारे महान पूर्वाचार्यों ने परमात्मभक्ति स्वरूप अनेकों स्तोत्र-स्तव-छंद बनाये हैं, उनमें भी पार्श्वनाथ भगवान के उवसग्गहर स्तोत्र जैसे अनेक मंत्रगर्भित चमत्कारी स्तोत्र उपलब्ध होते हैं. महाप्रभावी श्री गोडीजी पार्श्वनाथ के तो संस्कृत-प्राकृत व देशीभाषाओं में रचे गये अनेक स्तोत्र-स्तवनादि प्राप्त होते हैं जो जन-जन को कंठस्थ हैं. श्री गोडीजी पार्श्वनाथ प्रभु के प्रति श्रद्धा का भाव लेकर जो महानुभाव दर्शन-पूजन करते हैं, उन्हें मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. हीरे, मोती अथवा शुद्ध स्वर्ण से की गई आंगी रचना, चरणों में बड़े-बड़े सुगंधित रंग-बिरंगे पुष्पों का ढेर और चारों ओर प्रज्ज्वलित घी के पवित्र दीपकों के मध्य बिराजमान गोडीजी पार्श्वनाथ भगवान का प्रभाव और चमत्कार का पूरा-पूरा वर्णन करने में कौन समर्थ है? पर्व के दिनों में गोडीजी का धार्मिक वातावरण मुंबई महानगर में रहने वाले हजारों श्रावक-श्राविका नियमपूर्वक दिन में एक बार तो गोडीजी प्रभु का दर्शन अवश्य ही करते हैं. दर्शन-पूजन करने आने वाले श्रद्धालुओं से यह मंदिर भरा रहता है, विशेषरूप से महापर्व पर्यषण एवं नवपद ओली के समय तो इस विशाल मंदिर का पस्सिर पावन तीर्थभूमि के रूप में परिवर्तित हो जाता है. नवपद पूजा के लिये मुंबई महानगर में श्री गोडीजी मंदिर का स्थान अग्रगण्य है. For Private and Personal Use Only
SR No.525265
Book TitleShrutsagar Ank 2012 04 015
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMukeshbhai N Shah and Others
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2012
Total Pages28
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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