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पृष्ठ १६ का शेष ]
भरुच से प्राप्त जिन धातु प्रतिमाएँ
दूसरी छोर पर देवी अंबिका है. पीठिका के दोनों छोर पर निकले स्तंभ पर चामरधारियों के अंकन हैं. पीठिका के ऊपर मध्य में धर्मचक्र एवं हिरन के अंकन है जो घिस चुके हैं एवं एक छोर पर चार और दूसरी छोर पर पाँच ग्रहों को अंकित किया गया हैं. तीर्थंकर के ऊपर त्रिछत्र, दोनों ओर आकाशचारी मालाधर एवं स्तूपी के दोनों ओर अशोक पत्र व परिकर को अलंकृत करने हेतु रेखांकन आदि किया गया है. प्रतिमा के पीछे अग्रलिखित लेख अंकित है
सं. ११४३ वरदेव वराईक सुत का. प्र.
नाप (से.मी.) ऊँचाई १६.५ लंबाई ११.५ चौड़ाई ५.५
२. तीर्थंकर पार्श्वनाथ पंचतीर्थी प्रतिमा प्रायः वि. सं. १०-११वीं शताब्दी (परिग्रहण क्र. ७४)
मुख्य तीर्थंकर के रूप में पार्श्वनाथ मध्य में पद्मासनस्थ मुद्रा में बिराजमान हैं. दोनों ओर कायोत्सर्ग मुद्रा में दो तीर्थंकर पीठिका से निकले कमलासन पर खड़े हैं. ऊपर छत्रांकन है, और इस के ऊपर पद्मासनस्थ दो तीर्थंकर के अंकन हैं. मुख्य त्रिछत्र के दोनों ओर मालाधर के अंकन हैं. तीर्थंकर के सिंहासन के नीचे प्रथम की तरह दो नाग चक्र के बीच कुंभ जैसा अंकन लग रहा है. पीठिका के मध्य में दांडीयुक्त धर्मचक्र व हिरनों के अंकन है. दोनों ओर एक तरफ चार व दूसरी ओर पाँच कुल नवग्रहों के अंकन है. पीठिका के दोनों छोर से निकले कमलासन पर एक ओर सर्वानुभूति और दूसरी ओर शिशु युक्त देवी अंबिका वीरासन में स्थित है. प्रतिमा पर पूजाविधि होने के कारण अंकनों के मुख आदि भाग नष्ट हो चुके हैं. प्रतिमा के पीछे मात्र विहिल अंकित किया गया है.
नाप (से.मी.) ऊँचाई - १५ लंबाई - ११.५ चौड़ाई - १४
३. पार्श्वनाथ त्रितीर्थी प्रतिमा विक्रम संवत ११७८ (परिग्रहण क्र. ११)
अष्ट प्रतिहार युक्त तीर्थंकर पार्श्वनाथ के सिंहासन में दो चक्र के अंकन हैं. जिनमें से प्रतिमा के दाईं ओर का चक्र खंडित है. मुख्य तीर्थंकर के दोनों ओर कायोत्सर्ग मुद्रा में खड़े दो तीर्थंकर के अंकन हैं. पीठिका के दोनों छोर से निकले कमलासन पर चामरधारी के अंकन है. नीचे सिंहासन के दोनों ओर सर्वानुभूति यक्ष एवं यक्षी अंबिका के अंकन है. पीठिका के मध्य में धर्मचक्र व नवग्रह एवं दोनों छोर पर श्रावक-श्राविका के अंकन है. परिकर के अर्ध गोलाकार भाग में ताँबे की दो परतों के बीच चाँदी की परत,
नाग छत्र के भीतर चाँदी की परत, कायोत्सर्ग मुद्रा में खड़े तीर्थंकर की कमर पर, चामरधारी की कमर पर एवं तीर्थंकर की गादी व सिंहासन के ऊपरी छोर पर चाँदी - ताँबे की परत जड़ी हुई है. प्रतिमा के पीछे अग्रलिखित लेख है.
९० संवत ११७८ पोस वदी ११ शुक्रे श्री हाईकपुरीय गच्छे श्री गुणसेनाचार्च संताने सवणी ट्ठलट्ठमे ठ. जगणोग सुतनवीलेन भा. जयदेवि समन्वितेन देव श्री पार्श्वनाथ प्रतिमा उभय श्रेयार्थे कारिता प्र. -
टिप्पणी : हाईकपुरीय गच्छ के नाप (से.मी.) ऊँचाई - २३.५ ४. पार्श्वनाथ एकतीर्थी प्रतिमा
लेख अत्यल्प मात्रा में मिले हैं. लंबाई- १७.५ चौड़ाई - ९.५
विक्रम संवत १२१५ (परिग्रहण क्र. ३४)
अष्टप्रतिहार्य सहित तीर्थंकर पार्श्वनाथ की गद्दी के नीचे उनके लांछन चिह्न के रूप में सर्प का रेखांकन है. दोनों ओर सिंहाकृति, सिंहासन के दोनों छोर पर यक्ष-यक्षी, पीठिका के मध्य में धर्मचक्र, हिरन, नवग्रह व दोनों छोर पर श्रावक-श्राविका के अंकन किए गए है. परीकर के ऊपरी भाग में स्तूपी किंवा कलश के दोनों ओर अशोकपत्र का अंकन किया गया हैं. प्रतिमा के पीछे निम्मांकित लेख है
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