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सं. १२१५ वैशाख स १२ श्री थारागच्छे हीमकस्थाने जसधर पत्र जसधवलेन जसदेवी श्रेयसे कारिता. थारागच्छ के कुछ लेख पहले प्राप्त हो चुके हैं शायद इससे थाराप्रद-गच्छ अभिप्रेत हो.
नाप (से.मी.) ऊँचाई - १८ लंबाई - ११ चौड़ाई - ७ ५. तीर्थंकर शांतिनाथ - एकतीर्थी प्रतिमा - विक्रम संवत १२१८ (परिग्रहण क्र. १४) . पद्मासनस्थ मुद्रा में विराजित तीर्थंकर के सिंहासन के मध्य में उनका लांछन हिरण का रेखांकन प्रायः नष्ट हो चुका है. दोनों ओर सिंहाकृति, यक्ष-यक्षिणी, तीर्थंकर के दोनों ओर चामरधारी, सिर के दोनों ओर उड्डुयमान मालाधर एवं पीछे अलंकृत प्रभामंडल का रेखांकन, त्रिछत्र के दोनों ओर नृत्यमुद्रा में गांधर्व, पीठिका के दोनों छोर पर आराधक रूप में श्रावक-श्राविका, मध्य में धर्मचक्र, हिरन व नवग्रह और परिकर के ऊपरी भाग में स्तूपी के दोनों ओर अशोकपत्र के अंकन किए गए हैं. अर्धगोलाकार परिकर में, तीर्थंकर की आँखों में, श्रीवत्स व गद्दी के मध्य भाग में चाँदी की परत जड़ित है. प्रतिमा के पीछे लेख इस प्रकार है
सं. १२१८ वैशाख वदि ५ शनौ श्री भावदेवाचार्य गच्छे जसधवल पुत्रि कया सह जिया स्वात्म श्रेयार्थे श्री शांतिजिन कारितं.
मध्ययुग में भावदेवाचार्य का एक प्रसिद्ध चैत्यवासी गच्छ था जो कभी कभी भावडाचार्य गच्छ के नाम से भी पहचाना जाता था. इस गच्छ के अनेक प्रतिमा लेख प्राप्त हो चुके हैं.
नाप (से.मी.) ऊंचाई -२२ लंबाई - १३५ चौडाई - ८ ६. तीर्थंकर पार्श्वनाथ की एकतीर्थी प्रतिमा - विक्रम संवत १२२५ (परिग्रहण क्र. २५९)
अंग रचना युक्त तीर्थंकर पार्श्वनाथ की प्रतिमा में सिंहासन के मध्य में सर्प लांछन का रेखांकन है. लांछन के दोनों ओर की सिंहाकृति खंडित हो चुकी है. नागफणा विस्तृत है. फणों के दोनों ओर खेचर मालाधर एवं नृत्य करते हुए गांधर्व, तीर्थंकर के दोनों ओर चामरधारी, जिनमें से प्रतिमा के बाई ओर के चामरधारी घुटने से नीचे तक खंडित है. सिंहासन के दोनों ओर यक्ष-यक्षिणी, धर्मचक्र, नवग्रह आदि के अंकन पूर्वोक्त प्रतिमाओं की तरह ही है. प्रतिमा के पीछे अग्रलिखित लेख है
९० संवत् १२२५ ज्येष्ठ सुदि ८ ग्रे(गु). अंपिग(ण) पल्या रूपिणीकया लखमण पाल्हण देल्हण सगेतया पार्श्वनाथ बिंब कारितं श्री परमानंद.
श्री परमानंद से यहाँ प्रतिष्ठितं श्री परमानंद सूरि ऐसा विवक्षित हो. इस नाम के सूरि के काल के लेख पूर्व में भी मिले है.
नाप (से.मी.) ऊँचाई - २३.५ लंबाई - १५ चौड़ाई - ९ ७. महावीरस्वामी की एकतीर्थी प्रतिमा - विक्रम संवत १२३४ (परिग्रहण क्र. १३)
अन्य प्रतिमाओं की तरह यह प्रतिमा भी अष्ट प्रतिहार युक्त है. तीर्थंकर गद्दी के नीचे मध्य में वीरासन मुद्रा में शांतिदेवी का अंकन पश्चिम भारतीय शैली की विशेषता है जो अन्यत्र देखने में नहीं आती है. जिनपीठिका पर मध्य में धर्मचक्र एवं हिरनों का स्पष्ट अंकन, दोनों छोर पर गोलाकार आधार पर वीरासन एवं आराधक की मुद्रा में श्रावक-श्राविका अंकित किए गए है.
१ सं. १२३४ मार्ग सुदि १५ शुक्रे ऊोह कालिज(जे) श्री महावीर प्रत्यामा कारापिता गुणदेव्या आत्मश्रेयार्थ प्रतिष्ठित श्री चंद्रप्रभाचार्येः ।।
नाप (से.मी.) ऊँचाई - २१ लंबाई - १४.५ चौड़ाई - ९.५ ८. जिन प्रतिमा - एकतीर्थी - विक्रम संवत १२३९ (परिग्रहण क्र. २२)
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