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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुत सागर, वैशाख 2052 कोबा स्थित महावीरालय में | ज्येष्ठ शु.२(स्वर्गारोहण दिवस के उपलक्ष्य में प. पू. भगवन्त को स्मरणाञ्जलि महान धर्म सम्राट, विविध विशेषताओं के धनी, सम्पूर्ण जैन समाज तिलक को सूर्य किरणें प्रकाशित करेंगी की महान विभूति, संयम आराधना की मंगलमूर्ति राष्ट्रसंत आचार्य श्री पद्मसागरसूरि महाराज साहेब की प्रेरणा से कोवा, आचार्यदेव श्री कैलाससागरसूरीश्वरजी गाँधीनगर में निर्मित श्री महावीर स्वामी के जिनालय में बुधवार, 22 मई को दुपहर म.सा. 2 बजकर सात मिनट पर प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी सूर्य किरणें मंदिर शिखर से प्रविष्ट होकर देरासर में विराजमान भगवान श्री महावीर स्वामी के तिलक को शासन के महान प्रभावक के रूप में आचार्यश्री सदियों तक भूलाए नहीं आलोकित करेंगी. इस अवसर पर देरासर में होने वाला भव्य प्रकाश अद्भुत रहेगा. जा सकेंगे. आचार्य श्रीकैलाससागरसूरीश्वरजी महाराज के वरदहस्त से हुई शासन इस अनुपम एवं अलौकिक दृश्य को ज्यादा से ज्यादा श्रद्धालु देख सकें, इस | प्रभावना का तो एक लम्वा इतिहास है.आपश्री द्वारा लगभग 63 अजनशलाकाएं, हेतु श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र परिसर में क्लोज सर्किट टी. वी. की व्यवस्था 80 जिनमंदिरों की प्रतिष्ठा, अनेक जिनमंदिरों का जीर्णोद्धार, 30 से भी अधिक उपधानतप की आराधनाएं आदि शासन-प्रभावना के अनेक विध कार्य सम्पन्न हुए की जाएगी. थे. आपश्री के हाथों में अञ्जन हुई मूर्तियों की संख्या लगभग 9000 से भी अधिक ज्ञात हो कि 22 मई 1987 को प. पू. गच्छाधिपति आचार्यश्री कैलाससागरसूरीश्वरजी | आचार्यश्री की सच्ची पहचान म. सा. का अन्तिम संस्कार कोवा में श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र परिसर में किया गया था. यह नहीं कि उन्होंने कई जिन मंदिरों पूज्य गुरु भगवंत की स्मृति को अमर करने के लिए प. पू. राष्ट्रसंत आचार्य | की स्थापना करवाई, उनकी सच्ची श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी महाराज की प्रेरणा से उनके विद्वान शिष्य-प्रशिष्यों ने जिस पहचान यह भी नहीं कि उन्होंने कई समय यह देरासर बन रहा था उस समय ऐसी ज्योतिषीय गणना द्वारा व्यवस्था की उपधान तप करवाए या उपाश्रयादि है कि प्रतिवर्ष 22 मई को दुपहर 2.07 वजे महावीर स्वामी के तिलक को मर्य वनवाए, ये सब कुछ तो उनके द्वारा किरणें प्रकाशित करें. हुए सहज कार्यों की पहचान है. उनकी यह दृष्य अनुपम एवं अद्वितीय होता है तथा इसका अवलोकन आलादक है. वास्तविक पहचान तो उनके विरल WITH BEST COMPLIMENTS FROM: व्यक्तित्व के पहचान में है. गागर का सच्चा परिचय गागर के किनारे से नहीं मिल सकता है, उसी प्रकार व्यक्ति की पहचान भी वाहर से नहीं, उसके अंतर-जीवन से होनी चाहिये. परंतु आचार्य श्री तो जैसे अंतर से थे वैसे ही बाहर से भी थे. उनका अंतर्मन जितना निर्मल और करुणामय था उतना ही उनका व्यवहार भी. वे अंदर और बाहर समान AGENCIES (INDIA) CORPORATION थे. हर व्यकति के प्रति उनका व्यवहार अंदर और वाहर से एक समान होता था. AICO AGENCIES PVT. LTD. अपने संयम जीवन के 47 वर्षों के दौरान पूज्य आचार्यश्री ने गुजरात, राजस्थान , मध्यप्रदेश, विहार, बंगाल, महाराष्ट्र आदि प्रान्तों में विचरण कर मानव 75, NEW CLOTH MARKET, के अंधकारमय जीवन को आलोकित करने का अथक पुरुषार्थ किया था. उन्होंने AHMEDABAD 380 002 अपने इस पुरुषार्थ में अपूर्व सफलता भी प्राप्त की थी . हजारों लोगों को व्यसनPhones : (Off)2144022, 2144122 (Res)7865325,7866575 मुक्त कर उन्हें शांतिपूर्ण एवं उज्ज्वल जीवन जीने का मार्गदर्शन दिया था. आचार्यश्री Fax:2145207 TELEX : 0121-691 अलग-अलग प्रांतों में विचरण करने के साथ-साथ वहां के महानगरों में चातुर्मास CABLE : ACRYSYNTH | भी किये थे, जिनमें वम्बई, पूना, कलकत्ता, अहमदावाद, जामनगर एवं पाली आदि [शेष पृष्ठ 7 पर श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र संचालित Book Post/Printed Matter आचार्य श्रीकैलाससागरसूरि ज्ञान मंदिर (पूर्णतया कम्प्यूटरीकृत शोध संस्थान) सह निदेशक (प्रशासन) : कार्य : ज्ञान मंदिर में संग्रहालय, ज्ञान-भंडार, कम्प्यूटर व शोध विभाग की प्रवृत्तियों का संयोजन / / योग्यता : उद्यमी, अनुभवी, परिपक्व, धार्मिक तथा उम्र 60 वर्ष से कम / भारती विद्या (विशेष रूप से जैन विद्या) एवं सम्वन्धित क्षेत्रों में रूचि तथा इस क्षेत्र में चल रही योजनाओं के संचालन व नई योजनाओं के क्रियान्वयन की क्षमता / अपेक्षित वेतन एवं वायोडाटा के साथ 15 मई 1996 तक निम्न पते पर आवेदन करें.|| Published & Despatched by Secretary, Sri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र Koba,Gandhinagar- 382009. Ph: 76204,76205, 76252 कोबा, गांधीनगर 382 009 |Printed at Dhvani Graphics,Vasana, Ahmedabad. Ph: 6634333 For Private and Personal Use Only
SR No.525253
Book TitleShrutsagar Ank 1996 04 003
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManoj Jain, Balaji Ganorkar
PublisherShree Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year1996
Total Pages8
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size1 MB
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