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________________ हिन्दी अनुवाद : ऐसा विचार कर तुम्हारे पास आकर तुम्हारी रक्षा के लिए मैंने वह दिव्य मणि तुम्हें दिया था। गाहा : तत्तो य गओ तुरियं धणवाहण-मुणि-वरस्स पासम्मि । दिट्ठो य मए देवो उवसग्गं तस्स कुणमाणो ।।१०।। संस्कृत छाया : ततश्च गतस्त्वरितं धनवाहनमुनिवरस्य पार्थे । दृष्टश्च मया देव उपसर्ग तस्य कुर्वन् ।।१०।। गुजराती अनुवाद : त्यारपछी हुँ तरत उतावळ थी धनवाहन मुनि पासे गयो त्यां में देवने ते मुनि पर उपसर्ग करतां जोयो। हिन्दी अनुवाद : उसके पश्चात् मैं तुरन्त शीघ्रता से धनवाहन मुनि के पास गया। वहाँ मैंने देव द्वारा मुनि पर उपसर्ग करते हुए देखा। गाहा : भणियं च मए रे! रे! तियसाहम! कत्थ वच्चसे इण्डिं। देविंद-वंदियाणं मुणीण एवं करेमाणो? ।।११।। संस्कृत छाया : भणितं च मया रे! रे! त्रिदशाधम! कुत्र व्रजसि इदानीम् । देवेन्द्र-वन्दितानां मुनीना-मेवं कुर्वन्? ।।११।। गुजराती अनुवाद :___अने कहूं, 'हे देवोमां अधम, हमणा ते देवेन्द्रोथी वंदित मुनिने (तकलीफ आपतां तुं क्यां जईश? हिन्दी अनुवाद : और कहा, 'हे देवों में अधम! अब उस देवेन्द्र द्वारा वंदित मुनि को तकलीफ पहुँचाता तूं कहाँ जाता है?
SR No.525094
Book TitleSramana 2015 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2015
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size15 MB
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